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बगिया की वन तुलसी

22 जून 2022

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बरसात का मौसम आते ही हमारे बगीचे में राम और श्याम तुलसी के पौधों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जैसे ही ठण्ड का मौसम आता है तो इनमें से कुछ को पाला मार जाता है और फिर जैसे ही गर्मी का मौसम आया और गर्मी बढ़ी तो कुछ उससे मर जाते हैं। बड़ी मुश्किल से बरसात तक एक-दुक्के पौधे बच पाते हैं। चूंकि बरसात में तुलसी के पौधे जल्दी पनपते हैं इसलिए हम बीज बो कर नए पौधे फिर से तैयार कर लेते हैं। इस तरह 'तू तुलसी मेरे आँगन की' गाने की सार्थकता बनाये रखने में हमें कामयाबी मिल जाती हैं।   

राम और श्याम तुलसी तो लगभग घर-घर मिल जाती हैं। लेकिन जो तुलसी बहुत कम घर में आपको देखने को मिलेगी, उसी तुलसी 'वन तुलसी 'से आज मैं आपका परिचय कराती हूँ। आज से २ वर्ष पूर्व जब मैं हमारे एक परिचित के घर गई तो वहां मुझे तुलसी जैसा पौधा दिखा, लेकिन उसकी बड़ी-बड़ी पत्तियॉं देखकर मुझे उसके तुलसी होने में संदेह हुआ तो मैंने उसके बारे में उनसे पूछा। उन्होंने हमें बताया कि वह तुलसी का ही पौधा है जिसे वन तुलसी के नाम से जाना जाता है। मैंने निश्चित करने के लिए उसकी पत्ती तोड़कर सूंघी तो मेरी शंका दूर हुई।  मेरे मांगने पर उन्होंने उसकी एक टहनी काटकर मुझे यह कहकर दी कि इसे मिट्टी में रोप देना। तुलसी की टहनी मिट्टी में रोपकर पौधा तैयार हो सकता है इसकी मुझे शंका थी, क्योंकि राम और श्याम तुलसी तो बीज से उगाये जाते हैं, फिर भी घर आकर मैंने उसे बग़ीचे में एक पन्नी में मिटटी, गोबर और कोकोपीट मिलकर रोप दिया। जब मैंने इसे रोपा उस समय भले ही बरसात का मौसम था, फिर भी मुझे पूरा विश्वास नहीं था कि इस तरह वन तुलसी का पौधा तैयार हो जाएगा। लेकिन जब एक सप्ताह बाद मैंने देखा कि वह धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है और उसमें नयी कोपलें और शाखाएं भी आ रही है तो मुझे बड़ी ख़ुशी हुई। इस तरह एक माह में वह एक बड़ा पौधा बन गया और उस पर बड़ी-बड़ी शहतूत के बराबर उसी के जैसे पत्तियां आ गई।  कुछ माह बाद उस पर पत्तियों के साथ ही बड़ी-बड़ी मंजरी भी आई तो मैंने उन्हें बीज के लिए इकठ्ठा करती चली गई। अब मैं हमारे बगीचे में इन बीजों से बहुत से पौधे तैयार करती हूँ और लोगों को इसे अपने घरों में लगाने के लिए प्रेरित करती हूँ, क्योंकि इसकी राम-श्याम तुलसी से भिन्न विशेषता है कि इसका पौधा उनसे काफी बड़ा होता है, जिसकी पत्तियां भी बहुत बड़ी-बड़ी होती हैं और इसके साथ ही इसे न तो ठण्ड में पाला मारता है और नहीं गर्मी में कड़ी धूप इसे सुखा पाती हैं। हां, ये बात अलग है कि ठण्ड और गर्मी के मौसम में इसकी पत्तियों का आकर जरूर छोटा हो जाता है, लेकिन जैसे ही बरसात का मौसम आता है इसकी पत्तियों का आकर अपना मूल रूप धारण कर लेती हैं। 

अभी हमने दो थर्माकोल में बहुत वन तुलसी का बीज बो कर पौधे तैयार किए हैं, जिन्हें हम लोगों को सर्फ़ एक्सल, तेल, ब्रेड की पन्नी, मिनरल वाटर की बोतलों या सैनिटाइजर के कूपों  में लगाकर देते हैं। जब भी सड़क आते-जाते किसी की नज़र हमारे बगीचे पर पड़ती है और वह हमसे तुलसी का पौधा मांगता है तो हम उसे यह वन तुलसी का पौधा जरूर देते हैं, जिसे देख वे पहले तो विश्वास नहीं करते लेकिन जैसे ही हम उन्हें पूरी जानकारी देते हैं और उसकी पत्तियों को सूंघकर निश्चित कराते हैं तो वे बड़े खुश होकर उसे अपने घर ले जाते हैं तो हमें बड़ी ख़ुशी मिलती हैं। 

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आज के लिए इतना ही फिर मिलती हूँ एक नयी जानकारी लेकर 

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रचनाएँ
बाग़-बगीचे की बातें (दैनन्दिनी-जून, 2022)
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जून माह की दैनन्दिनी में मैं केवल आपसे बाग़-बगीचे की बातें करूँगी। इस माह 5 तारीख को विश्व पर्यावरण दिवस भी आता है, तो मैंने सोचा क्यों न इस माह प्रकृति से अपने जुड़ाव की बातें साझा करती चलूँ। प्रकृति की गोद में मुझे बड़ा सुकून मिलता है, इसीलिए मैंने अपने घर के पास एक ऐसा छोटा सा बाग़-बगीचा बनाया हैं, जहाँ कुछ छोटे-बड़े अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे और थोड़ी-बहुत ताज़ी साग-सब्जी भी उगा लेती हूँ। इस दैनन्दिनी में आप मेरे इसी बाग़-बगीचे में उगे पेड़-पौधों की बारे में जानिए और मेरे साथ-साथ चलते रहिए।
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बाग़-बगीचे की दुनिया की सैर

4 जून 2022
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आज जून माह की ४ तारीख हो गयी हैं।  इन चार दिन में सोच रही थी कि इस माह की दैनन्दिनी में क्या लिखूं।  इसी उधेड़बुन में जब कल मैंने समाचार पत्र में विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में कुछ लेख पढ़े तो मेरे

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पर्यावरण-प्रदूषण रोकथाम हेतु पेड़-पौधे लगाना जरुरी है

5 जून 2022
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आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारे जीवन के अस्तित्व, निर्वाह, विकास आदि को दूषित करने वाली स्थिति को पर्यावरण-प्रदूषण कहा जाता है।  जैसे-जैसे महानगरों के विस्तार के साथ ही नए-नए उद्योग-धंधों का अनियंत

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फल-ककड़ी चोरी पर मिली गालियों की यादें

7 जून 2022
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  इन दिनों हमारे बग़ीचे की बॉउंड्री में ककड़ी , कद्दू, लौकी, तोरई और सेम की छोटी-छोटी बेलें फ़ैल रही हैं। इनमें कद्दू, सेम और ककड़ी मैंने अपने गांव से बीज मँगवाकर लगाए हैं। हर दिन जब इन बेल को धीरे-धीर

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तुलसी का पौधा जन्मदिन का उपहार

8 जून 2022
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आज सुबह उठते ही पतिदेव ने मुझे मिनिरल बॉटल को काटकर उसमें लगाए तुलसी के पौधे को मेरे जन्मदिन का उपहार कहकर दिया तो मैंने उनसे कहा कि लोग अपनी पत्नी को उसके जन्मदिन पर महँगे से महँगा उपहार देते हैं और

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जंगल जलेबी का पेड़

9 जून 2022
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गर्मियों में सुबह-सुबह की सैर का अपना एक अलग ही आनंद है। इस सैर में यदि सुबह-सुबह कुछ प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्वों से भरपूर कुछ मुफ्त में ख

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भीषण गर्मीं में भी फल देते केले और पपीते के पेड़

10 जून 2022
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आजकल गर्मी के तेवर बड़े तीखे हैं। नौतपा आकर चला गया लेकिन मौसम का मिजाज कम होने के स्थान पर और भी अधिक गरमाया हुआ है। इंसान तो इंसान प्रकृति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, फूल-पत्ते कुछ मुरझाते तो कुछ सूखत

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पहली फुहार आयी बहार

12 जून 2022
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भीषण गर्मी में जब आसमान से बादल उमड़-घुमड़ कर बरसने लगते हैं, तब बरसती बूंदों की तरह ही मन भी ख़ुशी के मारे उछल पड़ता है। कल शाम को पहली बार जैसे ही बादलों से कुछ बूँदें जमीन पर आकर गिरी तो प्रकृति में एक

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बगीचे के नीम पेड़ पर चढ़ा सांप

14 जून 2022
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आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो मोहल्ले में बड़ा हो-हल्ला मचा था। मोहल्ले के कुछ लोग अपनी बालकनी तो कुछ छत से हमारे बग़ीचे के नीम के पेड़ को किसी अजूबे की तरह उचक-उचक कर देखते हुए शोरगुल कर रहे थे। उ

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जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी

16 जून 2022
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मुरझाये पौधे भी खिल उठते जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी। आह! इन बादलों की देखो अजब-गजब की मनमानी।। देख बरसते बादलों को ऊपर पेड़-पौधे खिल-खिल उठते हैं। जब बरसते बादल बूंद- बूंद तब अद्भुत छटा बिखेरते

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बगीचे का पितृ वृक्ष नीम

19 जून 2022
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आज मैं आपको हमारे बगीचे के पितृ वृक्ष नीम से मिलाती हूँ। आज से लगभग ७ वर्ष पूर्व जब हम इस सरकारी आवास में आये तो यहाँ बाहर यही एक एकलौता  नीम का वृक्ष था।  उसके आस-पास अन्य कोई पेड़-पौधे नहीं थे। अधि

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बगिया की वन तुलसी

22 जून 2022
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बरसात का मौसम आते ही हमारे बगीचे में राम और श्याम तुलसी के पौधों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जैसे ही ठण्ड का मौसम आता है तो इनमें से कुछ को पाला मार जाता है और फिर जैसे ही गर्मी का मौसम आया औ

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कंडाली का पौधा

24 जून 2022
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अभी दो दिन पहले मैंने आपको अपने बगीचे में उगाई वन तुलसी की बारे में जानकारी दी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं अपने बग़ीचे में उगाये हमारे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के एक ऐसे औषधीय पौधे के बारे में जो

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कुणजा के पौधा

25 जून 2022
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कल मैंने आपको हमारे बाग़-बगीचे में उगाई कंडाली के पौधे के बारे में कुछ बातें बताई। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं आपको हमारे उत्तराखंड से लाकर बगीचे में लगाए कुणजा के पौधे के बारे में बताती हूँ।  बचपन

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दाल-सब्जी का तड़का जख्या और दुतपंगुरु

27 जून 2022
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आज भी जब कभी अपना कोई रिश्तेदार या निकट सम्बन्धी गांव जाकर वहाँ से मौसमी फल अखरोट, आड़ू, काफल, च्यूड़े, नारंगी या माल्टा के साथ ही गैथ की दाल, भट्ट, छीमी, रयांश, मंडुवे का आटा, कौणी, झंगोरा आदि लाक

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सतवारी और भृंगराज

28 जून 2022
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आज मैं आपको अपने बाग़-बगीचे में लगी सतावरी और भृंगराज के बारे में बताती हूँ। हमने इन्हें हमारे बगीचे की बाउंड्री में लगा रखा है।  भृंगराज सड़क के किनारे वाली बॉउंड्री पर तो सतावरी सड़क से बिल्डिंग के

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बाग़-बगीचे की रंगत में

29 जून 2022
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इस माह  दैनन्दिनी  'बाग़-बगीचे की बातें' के अंतर्गत मैंने अपने बाग़-बगीचे के कुछ जरुरी पेड़-पौधों के बारे में आपको कुछ जानकारी साझा दी। इसमें बाग़-बगीचे के सभी पेड़-पौधों की बारे में समयाभाव के कारण बत

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