आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो मोहल्ले में बड़ा हो-हल्ला मचा था। मोहल्ले के कुछ लोग अपनी बालकनी तो कुछ छत से हमारे बग़ीचे के नीम के पेड़ को किसी अजूबे की तरह उचक-उचक कर देखते हुए शोरगुल कर रहे थे। उनके साथ ही नीम के पेड़ पर इधर-उधर बड़ी बैचनी से गिलहरी और बुलबुल भी जोर-जोर से शोर मचाने में लगी हुई थी। मैंने जब इस बारे में बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी कुछ देर पहले ही नीम के पेड़ पर मोहल्ले के कुछ लोगों ने सांप चढ़ते हुए देखा था। इसलिए वे लोग डरते हुए ऊपर से हमें बता रहे हैं, लेकिन हमें अभी तक सांप दिखा नहीं। मैंने इनके साथ मिलकर एक लम्बा डंडा लिया और नीम की एक टहनी को खींचते हुए हिलाया-डुलाया। क्योँकि मुझे आशंका थी कि हो न हो सांप नीम के पेड़ पर बुलबुल के घोंसले से अंडे खाने चढ़ा हो। तभी तो बुलबुल बड़ी कर्कश स्वर में बेचैन होकर अपने घोंसले के इधर-उधर उड़ती फिर रही है। जब अच्छी तरह सांप बुलबुल के घोंसले के पास हमें नज़र नहीं आया तो मैंने इनसे कहा कि वे बुलबुल के घोंसले से थोड़ी दूरी पर गिलहरियों के घोंसले के पास डंडा ले जाकर उसे हिलाये, क्योंकि एक संभावना यह बनी कि कहीं सांप गिलहरियों के घोंसले में जाकर छुपकर बैठ गया हो। थोड़ी देर प्रयास करने के बाद सच में जैसे ही दो-चार बार डंडे से हमने गिलहरियों के घोंसले को हिलाया तो उससे एक पतला किंतु लम्बा सांप निकलकर टहनियों से होता हुआ टप से नीचे गिरकर सरपट बाड़ी की ओर भाग खड़ा हुआ। सांप को भागते देख हमारे साथ ही मोहल्ले के लोगों और बुलबुल व गिलहरियों ने भी राहत की साँस ली। गनीमत रही कि गिलहरियां अभी अपना पूरा घोंसला नहीं बना पाए थे जिससे उनमें उनके बच्चे नहीं थे, वर्ना वे आज उन्हें बचा पाते कि नहीं कुछ नहीं कहा जा सकता था।
मैंने अक्सर देखा है कि जैसे ही गर्मियों के बाद पहली बरसात होती हैं तो जमीन के अंदर से गर्मी के भभके बाहर निकलने लगते हैं और इसके साथ ही जमीन के अंदर छिपे सांप भी उस भभके से बेचैन होकर बाहर निकल आते हैं। इंसान की तरह ही कोई भी जीव हो जब तक उसे कोई सुरक्षित स्थान नहीं मिल जाता, तब तक वह इधर-उधर मारा-मारा फिरता रहता है। ऐसे ही सांप भी उनके बिल में पानी भरे उससे पहले अपने लिए सुरक्षित स्थान तलाशने निकलता है तो हम इंसान उससे और वह बेचारा हमारे डर के मारे भागने लगता है। हमारे बग़ीचे में सांप आते-जाते रहते हैं इसलिए बच्चे भी अब उनसे घबराते नहीं, बल्कि सावधान रहते हैं। एकदम से जब कभी बग़ीचे में कोई बड़ा सांप नज़र आता है तो मन थोड़ा जरूर घबरा जाता है लेकिन इसके साथ ही एक अच्छी बात यह है कि उनके रहते हुए कुछ दिन चूहों के आतंक से राहत मिल जाती हैं तथा बग़ीचा ऊबड़-खाबड़ होने से बचा रहता है और पेड़-पौधे सही सलामत रह पाते हैं।
फिलहाल आज के लिए इतना ही, फिर मिलती हूँ बाग़-बगीचे की कुछ नयी खास खबर के साथ ...................