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भीषण गर्मीं में भी फल देते केले और पपीते के पेड़

10 जून 2022

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आजकल गर्मी के तेवर बड़े तीखे हैं। नौतपा आकर चला गया लेकिन मौसम का मिजाज कम होने के स्थान पर और भी अधिक गरमाया हुआ है। इंसान तो इंसान प्रकृति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, फूल-पत्ते कुछ मुरझाते तो कुछ सूखते चले जा रहे हैं। हमारे बग़ीचे का भी हाल बुरा है।  छोटे-छोटे कई नाजुक पौधे तो दम तोड़ चुके हैं और कुछ यदि दो-चार दिन बारिश न हुई तो उन्हें भी बेदम होते देर नहीं लगेगी। पानी का एक समय निर्धारित हैं और वह भी मुश्किल से एक घंटा।  शाम को ऑफिस से जाकर जैसे ही पानी आता है जल्दी से घर का पानी भरकर बग़ीचे में पाइप से पानी देने लग जाते हैं लेकिन यह बढ़ती गर्मी को देखते हुए कम पड़ जाती है।  पेड़-पौधों को मुरझाते और सूखते देख अपना गला भी सूखने लगता है। लेकिन क्या करें, कोई उपाय न देख उन पेड़-पौधे को देख मन को थोड़ी राहत मिलती हैं जो इस भीषण गर्मी में भी अपना दमखम बनाये रखकर अपना हौसला बढ़ाते मिलते हैं।  इनमें सबसे पहले कांटेदार पौधे होते हैं जो भीषण से भीषण  गर्मी में ऐसे तने रहते हैं जैसे कोई तपस्वी अपनी तपस्या में लीन हों, जिसे दीन-दुनिया में क्या चल रहा है उसकी कोई खबर नहीं रहती है। ये तो रही कांटेदार पेड़ों की बात। इसके अलावा हमारे बगीचे में जो पेड़ थोड़ा-बहुत हमारे पानी देने पर बड़े खुश होकर इसका प्रतिफल देने में कोई हिचक नहीं करते वे हैं केले और पपीते के पेड़।  पहले शुरू करती हूँ केले के पेड़ से।  पिछले वर्ष जब पहली बार बगीचे के केले के पेड़ में पहली बार केले लगे तो मन को बड़ी ख़ुशी हुई कि चलो मेहनत काम आयी, हालांकि तब उसमें गिनती के पांच केले लगे थे, वे भी पककर खाने को मिलते उससे पहले ही तीन तो गिलहरी खा गयी दो शेष बचे हुए मिले तो  हमने प्रसाद समझकर खाया। इस वर्ष लगभग चार दर्जन केले लगे तो देखकर बाग़-बाग़ हो चला।  हर दिन इन गर्मियों में एक-दो, एक-दो कर वे पकते चलते गए और हम उन्हें तोड़कर कुछ खाते गए तो कुछ आस-पड़ोस से लेकर नाते-रिश्तेदारों में प्रसाद की तरह बांटते चले गए। सभी खूब तारीफ़ करते और आखिर करते क्यों नहीं आखिर केले काफी बड़े जो थे और स्वादिष्ट भी। ये तो हुई केले की बात अब बात करती हूँ पपीते के पेड़ की। 


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सबसे पहले हमने जब बगीचे की शुरुवात की थी तो ऐसे ही लगभग 15-20 पपीते के पेड़ इधर-उधर से लाकर बरसात के मौसम में लगाए थे, जिनमें से पांच पेड़ ही फल देने लायक हुए।  कोई गल गए तो किसी को दीमक खा गया।  लेकिन अभी जो पेड़ शेष हैं उनमें अभी भी कुछ दिन के अंतराल में एक आध पपीता पका मिल ही जाता है।  पपीते के पेड़ को भी केले के पेड़ की तरह ही ज्यादा पानी की जरुरत होती है। इसलिए इन पर विशेष ध्यान देना पड़ता है, वर्ना इसकी पत्तियां एक-एक कर सूखती चली जाती हैं। अभी खूब पपीते खाने को मिल रहे हैं तो मन उत्साहित हैं कि इस बरसात में बगीचे के किनारे-किनारे और पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए हमने पहले से ही बीज सुखाकर रख लिए हैं। बस अब बरसात की प्रतीक्षा है, जैसे ही बादल अपनी पहली फुहार से बगीचे का तन-मन भिगोएंगे वैसे ही झटपट हम बीज रोपेंगे और अगली बरसात के पहले गर्मियों में इसके रसीले फलों का सेवन करेंगे, क्योंकि बरसात में पपीते का पेड़ बड़े तेजी से बढ़ते हैं और अगली बरसात से पहले फल देने लगते लगते हैं। 

आप भी देर मत कीजिये अपने आस-पास, बाग़-बगीचे में केले और पपीते के पेड़ लगाने के लिए तैयार रहे और अगली गर्मियों में इसके स्वादिष्ट फलों का सेवन कीजिए। 

भारती

भारती

हमारे यहां पर भी पपीते का एक पेड़ था। जिसमें खूब सारे पपीते लगे। इतने कि हमने खाए और पड़ोसियों से लेकर रिश्तेदारों को भी भेजे। लेकिन एक बार फल देने के बाद वह पेड़ सूखने लगा।

10 जून 2022

Pradeep Tripathi

Pradeep Tripathi

वाह mam फल खाते रहिये।

10 जून 2022

Papiya

Papiya

अरे वाह फिर तो मजा आ जाएगा

10 जून 2022

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रचनाएँ
बाग़-बगीचे की बातें (दैनन्दिनी-जून, 2022)
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जून माह की दैनन्दिनी में मैं केवल आपसे बाग़-बगीचे की बातें करूँगी। इस माह 5 तारीख को विश्व पर्यावरण दिवस भी आता है, तो मैंने सोचा क्यों न इस माह प्रकृति से अपने जुड़ाव की बातें साझा करती चलूँ। प्रकृति की गोद में मुझे बड़ा सुकून मिलता है, इसीलिए मैंने अपने घर के पास एक ऐसा छोटा सा बाग़-बगीचा बनाया हैं, जहाँ कुछ छोटे-बड़े अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे और थोड़ी-बहुत ताज़ी साग-सब्जी भी उगा लेती हूँ। इस दैनन्दिनी में आप मेरे इसी बाग़-बगीचे में उगे पेड़-पौधों की बारे में जानिए और मेरे साथ-साथ चलते रहिए।
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बाग़-बगीचे की दुनिया की सैर

4 जून 2022
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आज जून माह की ४ तारीख हो गयी हैं।  इन चार दिन में सोच रही थी कि इस माह की दैनन्दिनी में क्या लिखूं।  इसी उधेड़बुन में जब कल मैंने समाचार पत्र में विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में कुछ लेख पढ़े तो मेरे

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पर्यावरण-प्रदूषण रोकथाम हेतु पेड़-पौधे लगाना जरुरी है

5 जून 2022
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आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारे जीवन के अस्तित्व, निर्वाह, विकास आदि को दूषित करने वाली स्थिति को पर्यावरण-प्रदूषण कहा जाता है।  जैसे-जैसे महानगरों के विस्तार के साथ ही नए-नए उद्योग-धंधों का अनियंत

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फल-ककड़ी चोरी पर मिली गालियों की यादें

7 जून 2022
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  इन दिनों हमारे बग़ीचे की बॉउंड्री में ककड़ी , कद्दू, लौकी, तोरई और सेम की छोटी-छोटी बेलें फ़ैल रही हैं। इनमें कद्दू, सेम और ककड़ी मैंने अपने गांव से बीज मँगवाकर लगाए हैं। हर दिन जब इन बेल को धीरे-धीर

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तुलसी का पौधा जन्मदिन का उपहार

8 जून 2022
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आज सुबह उठते ही पतिदेव ने मुझे मिनिरल बॉटल को काटकर उसमें लगाए तुलसी के पौधे को मेरे जन्मदिन का उपहार कहकर दिया तो मैंने उनसे कहा कि लोग अपनी पत्नी को उसके जन्मदिन पर महँगे से महँगा उपहार देते हैं और

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जंगल जलेबी का पेड़

9 जून 2022
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गर्मियों में सुबह-सुबह की सैर का अपना एक अलग ही आनंद है। इस सैर में यदि सुबह-सुबह कुछ प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्वों से भरपूर कुछ मुफ्त में ख

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भीषण गर्मीं में भी फल देते केले और पपीते के पेड़

10 जून 2022
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आजकल गर्मी के तेवर बड़े तीखे हैं। नौतपा आकर चला गया लेकिन मौसम का मिजाज कम होने के स्थान पर और भी अधिक गरमाया हुआ है। इंसान तो इंसान प्रकृति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, फूल-पत्ते कुछ मुरझाते तो कुछ सूखत

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पहली फुहार आयी बहार

12 जून 2022
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भीषण गर्मी में जब आसमान से बादल उमड़-घुमड़ कर बरसने लगते हैं, तब बरसती बूंदों की तरह ही मन भी ख़ुशी के मारे उछल पड़ता है। कल शाम को पहली बार जैसे ही बादलों से कुछ बूँदें जमीन पर आकर गिरी तो प्रकृति में एक

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बगीचे के नीम पेड़ पर चढ़ा सांप

14 जून 2022
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आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो मोहल्ले में बड़ा हो-हल्ला मचा था। मोहल्ले के कुछ लोग अपनी बालकनी तो कुछ छत से हमारे बग़ीचे के नीम के पेड़ को किसी अजूबे की तरह उचक-उचक कर देखते हुए शोरगुल कर रहे थे। उ

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जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी

16 जून 2022
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मुरझाये पौधे भी खिल उठते जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी। आह! इन बादलों की देखो अजब-गजब की मनमानी।। देख बरसते बादलों को ऊपर पेड़-पौधे खिल-खिल उठते हैं। जब बरसते बादल बूंद- बूंद तब अद्भुत छटा बिखेरते

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बगीचे का पितृ वृक्ष नीम

19 जून 2022
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आज मैं आपको हमारे बगीचे के पितृ वृक्ष नीम से मिलाती हूँ। आज से लगभग ७ वर्ष पूर्व जब हम इस सरकारी आवास में आये तो यहाँ बाहर यही एक एकलौता  नीम का वृक्ष था।  उसके आस-पास अन्य कोई पेड़-पौधे नहीं थे। अधि

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बगिया की वन तुलसी

22 जून 2022
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बरसात का मौसम आते ही हमारे बगीचे में राम और श्याम तुलसी के पौधों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जैसे ही ठण्ड का मौसम आता है तो इनमें से कुछ को पाला मार जाता है और फिर जैसे ही गर्मी का मौसम आया औ

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कंडाली का पौधा

24 जून 2022
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अभी दो दिन पहले मैंने आपको अपने बगीचे में उगाई वन तुलसी की बारे में जानकारी दी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं अपने बग़ीचे में उगाये हमारे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के एक ऐसे औषधीय पौधे के बारे में जो

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कुणजा के पौधा

25 जून 2022
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कल मैंने आपको हमारे बाग़-बगीचे में उगाई कंडाली के पौधे के बारे में कुछ बातें बताई। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं आपको हमारे उत्तराखंड से लाकर बगीचे में लगाए कुणजा के पौधे के बारे में बताती हूँ।  बचपन

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दाल-सब्जी का तड़का जख्या और दुतपंगुरु

27 जून 2022
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आज भी जब कभी अपना कोई रिश्तेदार या निकट सम्बन्धी गांव जाकर वहाँ से मौसमी फल अखरोट, आड़ू, काफल, च्यूड़े, नारंगी या माल्टा के साथ ही गैथ की दाल, भट्ट, छीमी, रयांश, मंडुवे का आटा, कौणी, झंगोरा आदि लाक

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सतवारी और भृंगराज

28 जून 2022
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आज मैं आपको अपने बाग़-बगीचे में लगी सतावरी और भृंगराज के बारे में बताती हूँ। हमने इन्हें हमारे बगीचे की बाउंड्री में लगा रखा है।  भृंगराज सड़क के किनारे वाली बॉउंड्री पर तो सतावरी सड़क से बिल्डिंग के

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बाग़-बगीचे की रंगत में

29 जून 2022
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इस माह  दैनन्दिनी  'बाग़-बगीचे की बातें' के अंतर्गत मैंने अपने बाग़-बगीचे के कुछ जरुरी पेड़-पौधों के बारे में आपको कुछ जानकारी साझा दी। इसमें बाग़-बगीचे के सभी पेड़-पौधों की बारे में समयाभाव के कारण बत

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