आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारे जीवन के अस्तित्व, निर्वाह, विकास आदि को दूषित करने वाली स्थिति को पर्यावरण-प्रदूषण कहा जाता है। जैसे-जैसे महानगरों के विस्तार के साथ ही नए-नए उद्योग-धंधों का अनियंत्रित विकास हुआ है, वैसे-वैसे हमारे सामने इससे जल, वायु, ध्वनि और भूमि प्रदूषण की समस्या भी खड़ी हुई है। जिसके चलते शहर में रह रहे लोगों को शुद्ध प्राकृतिक वायु और जल के अभाव में कई नई-नई बीमारियाँ घेरे रहती हैं। शहरों में प्रदूषण का एक बड़ा कारण जल निकासी का उचित प्रबंध न होना है। जब तक शहर की नालियों से बहकर नदी में मिलने वाले मल-मूत्र, नहाने-धोने तथा साफ-सफाई के गंदे जल, औद्यौगिक संस्थानों के कूड़ा-करकट, विषैले रासायनिक द्रव्य, पेस्टीसाइट,बायोसाइट,कीटनाशक रसायन का वैज्ञानिक तरीके से समाधान नहीं निकाला जाएगा, तब तक शहर के लोगों का स्वस्थ रखने के दावे खोखले साबित होंगे। क्योंकि जल में अवशिष्ट जीवनाशी रसायन हमारे शरीर में पहुंचकर रक्त को विषाक्त कर देता हैं, जिससे अनेक बीमारियां उत्पन्न होती हैं।
शुद्ध वायु और जल जीवन जीने के लिए अनिवार्य तत्व हैं और यह हमें वन, हरे-भरे बाग़-बगीचे तथा लहलहाते पेड़-पौधों से ही मिल सकता है। क्योंकि ये ही आज पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के समाधान का सबसे कारगर उपाय है। इसलिए आज शहरों के बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पेड़-पौधों का जाल बिछाने, औद्यौगिक संस्थानों को शहर से दूर करने, शहर के प्रदूषित जल को नदी में बहाने के बजाय वैज्ञानिक तरीके से उसे स्वच्छ कर खेतों की सिंचाई के काम में लाने, परम्परागत ईंधनों का उपयोग कम करके सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनो का प्रयोग करने और जनसँख्या नियंत्रण करने की आवश्यकता है।
हमारा पर्यावरण शुद्ध हो और हम स्वस्थ रहें इसलिए लिए हम तो अपने बाग़-बगीचे और आस-पास जहाँ भी खाली जगह मिलती हैं वहां बरसात आते ही पेड़-पौधे लगाते हैं और उनकी देखरेख करते हैं, जिन्हें पलते-फलते देख हमारे मन को ख़ुशी तो मिलती ही है, साथ ही इस बात की भी तसल्ली रहती है कि हम पर्यावरण को बचाने के लिए अपनेे स्तर से निरंतर प्रयास करते रहते हैं। आपका पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए क्या योगदान हैं, जरूर बताएं, ताकि सभी लोग प्रेरित हो सके।