सविता गुप्ता
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जगमग जगमग दीप जले
जगमग जगमग दीप जले उजियारा भरते दीप दिवाली के ,जगमग करते दीप दिवाली के...द्वार-द्वार, आंगन-आंगन, खिड़की-खिड़की, दालान-दालान, शहर-शहर, गांव-गांव, गली-गली, बाग़ बागान, हसते मुस्काते दीप दिवाली के...दीपो की मोहक लड़िया फुलझड़ियो की चिंगारिया, खील, बतासा, मीठा पकवान बाँटो भर-भर धान की लईया, धन धरती पर रखती श्
करक पर्व
सभी सखी सहेली को करक पर्व की बधाई हठ कर बैठा चाँद आज सोच रहा है मन में ,क्यों कर निकलू आज मै सुन्दर नील गगन में ,देखो मैंने छतो पर कैसी चौपाल लगायी ,सज धज कर बन ठन कर आई सॉस, ननद, भौजाई ,धमा चौकड़ी देखो कैसे बच्चे मचा रहे है,कब आएगा चंदा मामा मुझे ही बुला रहे है ,गोर
किराय का मकान
यह किराय का मकान न यह तेरा न यह मेरा | पांच तत्वो का यह घर साँसों का तन मे डेरा | है मुसाफिर कुछ दिनों का कौन है सदा ठहरा | जनम जीवन सार यह क्यों भयभीत हो रहे | पलपल बड़ा अनमोल व्यर्थ जीवन खो रहे | भूलो को भूल आगे बड़ो इसी में जीत का राज गहरा | बोझ हो जो मन पर कह सुनकर हल्का कर लो | परिवर्तन संसार का
आज मन कुछ कह रहा
आज मन कुछ कह रहा आज कुछ पल अपने लिए जिए | समय की चादर पर यादों के बूटे सिए भूल कर चाय कॉफ़ी पीना समय का मीठा चनमृत पिए | आज कुछ पल---- रहने दूघर को यूही अस्त व्यस्त न सही करू चादर की सिलबट बिखरा रहने दू घर का समान खुली छोड़ दू सारी खिड़कियां ठहरे रहने दू खिड़की के परदे हवा को आने दू रौशनी भर जाने दू तर
मुस्कान
कोरे कागज भर डाले पर मिली नहीं मुस्कान कही | खोज खोज कर खुद खो गई मिली नहीं पहचान कही | खुशियों की खोली पोटली तो समझा जीवन का है गान यही | आना जाना लगा रहेगा बुजुर्ग दे गए ज्ञान यही | एक दूजे का माने कहना करे खींच तान नहीं | यह एक माटी का कच्चा कुम्भ गल जाएगा करे कभी अभिमान नहीं | झूठ कभी न
माँ दुर्गा की स्तुतिः
जग का नियंत्रण करने वाली माँ की पूजा परम्परा और विधिवत लोग अपने अपने तरीके से करते है| वर्ष के दोनों नवरात्र हिन्दू धर्म में महत्वपुर्ण है | माँ दुर्गा जी की आराधना में नौ देवी,शैल पुत्री,ब्रह्मचारणी,चंद्रघंटा,कुष्मांडा,स्कंद माता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धदात्री माँ का पूजन क्रमवद्ध तरीके से
एक नयी इवारत
एक नयी इवारत लिख रही लड़कियां |भारत बुलंद कर रही लड़कियां |चाँद पर है कदम, पंछियों सी उड़ान |फूलों सी स्निग्ध मुस्कान लिए, स्नेह बाटती, परिवार बांधती,दो कुलो को शोभित कर रही लड़कियां |कौमदी सी चमक लिए, चांदनी सी धवलता, ज्ञान के प्रकाश में, देश के विकास में,कदम दर कदम आगे बढ़ रही लड़कियां |नया जनम मिले इन्
बीज की कहानी
नवरात्र का पर्व उपासना और साधना के माध्यम से अंतस के सुधि का पर्व है |मन क्रम वचन से आत्मचिंतन करना ही इस पर्व का उद्देश्य है | नवरात्र की शुभकामनाये..!!! बीज की कहानी...!!!झूल गयी बेले फिर ऊंची-ऊंची अटारी चढ़ आयी बेले, हरयाली ऋतू के बाद आँगन की कच्ची गीली माटी में दबा हुआ था बी
जनम मेरा
ओह माँ मुझको इस धरती पे आने तो दे ज़रा, रूप रंग मेरा अस्तित्व में छाने तो दे ज़रा | मै तुमको विश्वास दिलाती हु आँचल खुशियों से भर दूंगी बाबा का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दूंगी |मै महक हु संदल और चन्दन की, मै तेरे आँगन में कंचन बन बरसूँगी |मुझमे नूपुर पायल कोयल के स्वर है, फिर भी न जाने क्यो मुझको अपनों से
मेरे पापा
मेरे पापा.... बाँहों में फिर उठा लो पीठ पर फिर बिठा लो ,रूठ जो जाऊ में पापा फिर से मुझे मना लो | पापा में तेरी परी हु, थोड़ी सी नकचढ़ी हु, रूठी रहूंगी मै जब तक मानोगे न बात मेरी | मेरी ख़ुशी के लिए मेरे सारे नखरे उठा लो....आप मेरे मित्र हो, आप हो सखा, मत छिपाओ मुझसे, मुझे सब है पता |चलते चलते जब कभी म