मेरे पापा....
बाँहों में फिर उठा लो पीठ पर फिर बिठा लो ,रूठ जो जाऊ में पापा फिर से मुझे मना लो |
पापा में तेरी परी हु, थोड़ी सी नकचढ़ी हु, रूठी रहूंगी मै जब तक मानोगे न बात मेरी |
मेरी ख़ुशी के लिए मेरे सारे नखरे उठा लो....
आप मेरे मित्र हो, आप हो सखा, मत छिपाओ मुझसे, मुझे सब है पता |
चलते चलते जब कभी मै थक जाऊ या फिर जीवन पथ पर आप कभी थक जाए|
हम आप एक दूजे का दुःख हल्का कर जाए, पापा कभी उदास न होना अपनी शक्ति मुझे बना लो....
चुप चाप कभी न रहना, मै हु सदा पास तेरे दिल का दर्द सदा कहना, रहे सदा वैभव प्रतिष्ठा तुम्हारी बस इतनी सी सदा चाह हमारी मेरे बाग़ के मजबूत वृक्ष हो मुझे अपनी छाव में बिठा लो...