नवरात्र का पर्व उपासना और साधना के माध्यम से अंतस के सुधि का पर्व है |
मन क्रम वचन से आत्मचिंतन करना ही इस पर्व का उद्देश्य है |
नवरात्र की शुभकामनाये..!!!
बीज की कहानी ...!!!
झूल गयी बेले फिर ऊंची-ऊंची अटारी चढ़ आयी बेले,
हरयाली ऋतू के बाद आँगन की कच्ची गीली माटी में दबा हुआ था बीज एक,
अंकुरित हो फूटा और नन्हे शिशु सा मचलता हुआ ऊपर आया |
गर्मी,सर्दी सहकर मौसम से लड़कर आगे बढ़ेगा,
दीवार का सहारा पाकर खिड़की पे चढ़ेगा,
नन्हा सा बीज लौकी का ऊपर चढ़ने को आतुर है |
कागज़ के जैसे सफ़ेद पुष्प खिल रहे है,
माँ कहती ऊँगली मत दिखाना मुरझा जाएंगे,
हरे-हरे पत्तो के बीच दीप जैसे जग रहे,
जुगनू के जैसे चमक रहे,
तारो के जैसे झिलमिला रहे,
हरे पात की बंधन वार फैल गए मेड़ो पर |
फूलो से कोमल-कोमल बतिया बन गयी,
धीरे-धीरे बढ़ रही लौकी की लटकन,यूँ लगती दिवाली की कंदीले टांग दी गए हो |
हवा में झूलती आँगन,नीम,बेर पर चढ़ती एक नन्हे से बीज से पुष्पित,पल्वित होकर हमें अपार ख़ुशी दे रही है,क्युकी हमने चुपके से एक बीज आँगन के कोने में दबा दिया था, अब माँ लौकियो को तोड़ कर सब जगह बांटेगी |
प्रकृति हमे कितना देती है आज हमने जाना,क्युकी हमारे आँगन में प्रकृति ने अपना खजाना खोल दिया |