सभी सखी सहेली को करक पर्व की बधाई
हठ कर बैठा चाँद आज सोच रहा है मन में ,
क्यों कर निकलू आज मै सुन्दर नील गगन में ,
देखो मैंने छतो पर कैसी चौपाल लगायी ,
सज धज कर बन ठन कर आई सॉस, ननद, भौजाई ,
धमा चौकड़ी देखो कैसे बच्चे मचा रहे है,
कब आएगा चंदा मामा मुझे ही बुला रहे है ,
गोरी ने देखो किया हुआ साजन के लिए श्रृंगार ,
सोलह श्रृंगार होगा पूरा जब मै रूप दिखाऊ अपार ,
चंद्रोदय हो तब व्रत तोडू चाँद देखने की जिज्ञासा जगी सभी के नयन में ,
ओ चंदा मामा तुझको ज़रा क्यों तरस नहीं आता ,
क्यों कर रहा देर इतनी दरस क्यों नहीं दिखाता ,
तू भी तो मेरे बच्चो का मामा है लगता ,
फिर क्यों नहीं समय से धरती से आकर के मिलता ,
हर दिन तुमको रजत कटोरी भर कर खीर खिलाऊ ,
पर आज के दिन पकवान अनेको नीर सहित अर्ध चढ़ाउ ,
है गहन अँधेरी रात धवलता अपनी बिखरा दे सदन में |
व्रत उसका पहला नहीं अधरों से छुआ है नीर ,
अब दौड़े आए है चंदा सुन गोरी की पीर ,
पूनम जैसी प्यारी-प्यारी है आज की रात ,
सोलह श्रृंगार किये सजनी संग है सजना जी का साथ ,
चंदा से से करनी है आज हमे मीठी सी मनुहार ,
भरी मोती मांग सिन्दूर रहे,साजन जी की उम्र हो हज़ार ,
करक पर्व की सबको बधाई खुशिया छलके आंगन में |
हठ कर बैठा चाँद आज सोच रहा है मन में...!!!