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मुस्कान

4 अक्टूबर 2017

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कोरे कागज भर डाले पर मिली नहीं मुस्कान कही |

खोज खोज कर खुद खो गई मिली नहीं पहचान कही |

खुशियों की खोली पोटली तो समझा जीवन का है गान यही |

आना जाना लगा रहेगा बुजुर्ग दे गए ज्ञान यही |

एक दूजे का माने कहना करे खींच तान नहीं |

यह एक माटी का कच्चा कुम्भ गल जाएगा करे कभी अभिमान नहीं |

झूठ कभी जीतने पाए सत्य की हो हार, सबसे बड़ा मान यही |

सुख दुःख की झीनी चदरिया ओढ़ कर कट जाए ज़िन्दगी सबसे बड़ी शान यही |

किसी का बढ़के थामे दामन किसी के पोछे आंसू सबसे बड़ा इंसान वही |

दूजो का जो कर ले गरल पान नर नहीं है भगवन वही |

कोरे कागज भर डाले पर मिली नहीं मुस्कान कही...!!!

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