जग का नियंत्रण करने वाली माँ की पूजा परम्परा और विधिवत लोग अपने अपने तरीके से करते है| वर्ष के दोनों नवरात्र हिन्दू धर्म में महत्वपुर्ण है | माँ दुर्गा जी की आराधना में नौ देवी,शैल पुत्री,ब्रह्मचारणी,चंद्रघंटा,कुष्मांडा,स्कंद माता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धदात्री माँ का पूजन क्रमवद्ध तरीके से होता है| वर्ष के दोनों नवरात्र मौसम के संधिकाल में आते है | एक ऋतु जाती एक ऋतु आती ऐसे में हमारा स्वास्थ भी प्रभावित होता है | नवरात्र में व्रत रहने से हमारा स्वास्थ स्वतः सही हो जाता है,नियम सयम से व्रत रखना सकारात्मक भाव रखना,हमारी नौ दिन के प्रति सच्ची आस्था है | आदिशक्ति की आराधना से हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है,व्रत रखने से हमारे शरीर का शुद्धिकरण होता है | यदि मन से हम नकारात्मक भाव का उन्मूलन करते है,तभी हमारी पूजा अर्चना सफल है अन्यथा सब निरर्थक है | वही दूसरी और नवरात्र का पर्व समस्त स्त्री जाती के प्रति आदर मान सम्मान का पर्याय है,बेटियों को सरंछण दे पढाई लिखाई में बढ़ावा दे यही नवरात्री का सबसे बड़ा सन्देश है |
ॐ नमो दुर्गे मात कमलेश्वरी
भक्तजन की सदा तुमने रक्षा करी
कान्यकुन्डल गले बीच मडी माल है
मांग सिन्दूर विराजे,टीका भाल है
मात शोभित जगत में मुद्रा तुमरी ॐ
दुर्गा रूप निरंजन सुख समृद्धि करती
केहरि वाहन सवारी भक्तन का दुःख हरती
हाथ शंख चक्र गदा तोमर परसु पाश है
अष्ट हस्त त्रिशूल धनुष उत्तम सर्गः है
विष्णु की तुम सदा प्राण प्रिय सुंदरी ॐ