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माँ दुर्गा की स्तुतिः

23 सितम्बर 2017

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जग का नियंत्रण करने वाली माँ की पूजा परम्परा और विधिवत लोग अपने अपने तरीके से करते है| वर्ष के दोनों नवरात्र हिन्दू धर्म में महत्वपुर्ण है | माँ दुर्गा जी की आराधना में नौ देवी,शैल पुत्री,ब्रह्मचारणी,चंद्रघंटा,कुष्मांडा,स्कंद माता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धदात्री माँ का पूजन क्रमवद्ध तरीके से होता है| वर्ष के दोनों नवरात्र मौसम के संधिकाल में आते है | एक ऋतु जाती एक ऋतु आती ऐसे में हमारा स्वास्थ भी प्रभावित होता है | नवरात्र में व्रत रहने से हमारा स्वास्थ स्वतः सही हो जाता है,नियम सयम से व्रत रखना सकारात्मक भाव रखना,हमारी नौ दिन के प्रति सच्ची आस्था है | आदिशक्ति की आराधना से हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है,व्रत रखने से हमारे शरीर का शुद्धिकरण होता है | यदि मन से हम नकारात्मक भाव का उन्मूलन करते है,तभी हमारी पूजा अर्चना सफल है अन्यथा सब निरर्थक है | वही दूसरी और नवरात्र का पर्व समस्त स्त्री जाती के प्रति आदर मान सम्मान का पर्याय है,बेटियों को सरंछण दे पढाई लिखाई में बढ़ावा दे यही नवरात्री का सबसे बड़ा सन्देश है |

ॐ नमो दुर्गे मात कमलेश्वरी

भक्तजन की सदा तुमने रक्षा करी

कान्यकुन्डल गले बीच मडी माल है

मांग सिन्दूर विराजे,टीका भाल है

मात शोभित जगत में मुद्रा तुमरी ॐ

दुर्गा रूप निरंजन सुख समृद्धि करती

केहरि वाहन सवारी भक्तन का दुःख हरती

हाथ शंख चक्र गदा तोमर परसु पाश है

अष्ट हस्त त्रिशूल धनुष उत्तम सर्गः है

विष्णु की तुम सदा प्राण प्रिय सुंदरी ॐ


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तितली

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तितली होती...बेटियाँ बिन पंखों वाली तितली होती है, बेटियाँ अम्बर मे ज्यों बिजली होती है|बेटियाँ चांदनी के जैसे बिखरती है, बेटियाँ भोर की किरण सी चमकती है| बेटियाँ दर्पण देख देख सवरती है, बेटियाँ सूने आंगन मे पाजेब सी खनख़ती है| वे अपने आंगन की कली होती है| बेटियाँ फूलो मे अमलतास होती है, बेटियाँ सुख

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जननी दिवस 14 सितम्बर

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आज दिवस है हिंदी का, हिंदी तुझको करू नमन | माँ भारत की बिंदी है तू, तू ही माथे का चन्दन | तुझमे शब्द, तुझमे अर्थ, तुझमे ही है परिभाषा | आरोह, अवरोह तुझमे, तुझमे है प्रेम की भाषा |महादेवी की नीर भरी बदली, या फिर ठेठ गांव की कजली |प्रसाद की कामायनी, या हो प्रेम चंद्र की गबन |तुझमे है नाटक, रूपक, छंद,

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बूंदे

13 सितम्बर 2017
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फूल-फूल, पात-पात पर हसती देखो बूंदे,भोली भली बिटिया जैसी लगती देखो बूंदे, चौबारे खिड़की आँगन में देखो बिखरी बूंदे, खेत मैदान मेड़ से उतरी देखो बूंदे,शीशे में यूँ निखरी मोती जैसी बूंदे,माँ के नैनो से जैसे झरके आई बूंदे,तितली सोन चिरैया के पंख भिगोती बूंदे,दादुर चातक मोर से हस के मिली बूंदे,कागज़ की नाव

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मित्रता

14 सितम्बर 2017
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मित्रता ❤️मित्रता अनमोल रतन ,मित्रता से बड़कर ना कोई धन |जिसने मेरी पीर सही मैंने जिसकी बाँह गहि |मेंजब टूटी किरच किरच हुई में जब कन्धा उसका सींच गई |नहीं उसके बिना मुँहमें कौर गया |नहीं छोड उसे मन कहीं और गया |ऊगली थाम चला मेले में |लाया खींच हर अंधेरे से |इमली कायथा खटै,मीठे बेर |लगा दे चंपा चमेली

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नवरात्र का पर्व उपासना और साधना के माध्यम से अंतस के सुधि का पर्व है |मन क्रम वचन से आत्मचिंतन करना ही इस पर्व का उद्देश्य है | नवरात्र की शुभकामनाये..!!! बीज की कहानी...!!!झूल गयी बेले फिर ऊंची-ऊंची अटारी चढ़ आयी बेले, हरयाली ऋतू के बाद आँगन की कच्ची गीली माटी में दबा हुआ था बी

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सभी सखी सहेली को करक पर्व की बधाई हठ कर बैठा चाँद आज सोच रहा है मन में ,क्यों कर निकलू आज मै सुन्दर नील गगन में ,देखो मैंने छतो पर कैसी चौपाल लगायी ,सज धज कर बन ठन कर आई सॉस, ननद, भौजाई ,धमा चौकड़ी देखो कैसे बच्चे मचा रहे है,कब आएगा चंदा मामा मुझे ही बुला रहे है ,गोर

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जगमग जगमग दीप जले उजियारा भरते दीप दिवाली के ,जगमग करते दीप दिवाली के...द्वार-द्वार, आंगन-आंगन, खिड़की-खिड़की, दालान-दालान, शहर-शहर, गांव-गांव, गली-गली, बाग़ बागान, हसते मुस्काते दीप दिवाली के...दीपो की मोहक लड़िया फुलझड़ियो की चिंगारिया, खील, बतासा, मीठा पकवान बाँटो भर-भर धान की लईया, धन धरती पर रखती श्

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