यह मैं नही, मेरी माँ कहती है।जब मैं पैदा हुआ दादी की गदेली भर का था।तब परदादी ने पच्चीस पैसे में खरीद लिया था।यह मैं नही, मेरी माँ कहती है।बुआओं की गोंद में खेल कर उंगली पकड़ खेला था।कुछ बड़ा हुआ दिन गुजरे ननिहाल की खेत पगडंडियों में।यह मैं नही, मेरी माँ कहती है।ददिहाल भी अछूता नही रहा, मुझे प्यार देन
आईएएस बनने का सपना तो बहुत लोग रखते हैं लेकिन कुछ लोग ही बन पाते हैं। बनने वाले भी यूं ही नहीं बन जाते हैं। उन्हें कई परिक्षाएं पास करनी पड़ती हैं तब जाकर मंजिल मिलती है। परिक्षा में आईक्यू लेबल, कॉमन सेंस, प्रजेंस अॉफ माइंड हर चीज चेक किया जाता है। आईएएस एग्जाम में ऐसे कुछ कॉमन क्वेशचन पूछे जाते है
जब हंगामे में सवालों का वजूद तक ख़त्म हो जाता हो, तब जवाब कहां से मिलेगा. सवालों के चक्रव्यूह में घिरी जिंदगी, महाभारत के अभिमन्यु सरीखी हो गई है. न तो अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़ पाया और न ही जिंदगी को सवालों के जवाब मिलने वाले है. बात सीधी सी है सवाल होते ही जब हंगामा हो जाता है, तब जवाब से पहले सवाल
रावण का पश्चाताप : हे प्रभु राम, आजके समय में भी स्त्री के अपहरण का दंड आपके भारतवर्ष में दस वर्षों से अधिक काकारावास नहीं है । मुझे अपने अपराध का कितना और कब तक दंड देते रहेंगे... आपकेभारतवासी !!! यह सत्य है कि मेरी बहन शूर्पणखा के अ
जब हम लोग छोटे थे, तब परीक्षा में अक्सर विलोम (विरोधी) शब्द लिखो, परीक्षा में प्रश्न पूछा जाता था और हम खुशी-खुशी उत्तर लिख देते थे जैसे- सुख का दुख, खुशी का गम, हंसने का रोना इत्यादि-इत्यादि । किन्तु इस प्रकार के परीक्षा में पूछे जाने वाले विरोधाभाषी शब्द, कब और कैसे हमारे जीवन का अभिन्न भाग बन कर
अब वो नमी नहीं रही इन आँखों में शायद दिल की कराह अब,रिसती नही इनके ज़रिये या कि सूख गए छोड़पीछे अपने नमक और खूनक्यूँ कि अब कलियों बेतहाशा रौंदी जा रही हैं क्यूंकि फूल हमारे जो कल दे इसी बगिया को खुशबू अपनी करते गुलज़ार ,वो हो रहे हैं तार तार क्यूंकि हम सिर्फ गन्दी? और बेहद नीच एक सोच के तले दफ़न हुए जा
भारत हो या कोई भी देश हो हर माता पिता अपने बच्चों को असीम प्रेम करते है जिसका ऋण कोई भी नहींउतार सकता । पर असीम प्रेम करने पर बच्चों पर क्या क्या भीत सकती है शायद वो भी नहीं सोचते । मै एक ऐसा ही वाक्या बताने जा रहा हूँ । यदि आपके 2 बच्चें है और कोई विपत्ति या आपदा आती है जिसमें आप या तो अपने अपने आप