जीवन निर्वाह के नियमों को संतुलन में रखने वाली निर्धारित सीमा रेखा को मर्यादा कहा जाता है । इन्सान की मर्यादा स्वभाव, व्यवहार एवं आचरण पर निर्भर करती है । -अश्विनी कुमार मिश्रा
मर्यादाजीवन निर्वाह के नियमों को संतुलन में रखने वाली निर्धारित सीमा रेखा को मर्यादा कहा जाता है । इन्सान को सर्वप्रथम अपनी मर्यादाएं समझना आवश्यक है । इन्सान की मर्यादा स्वभाव, व्यवहार एवं आचरण पर निर्भर करती है । आचरण की मर्यादा इन्सान के अपराधी होने से ही भंग नहीं होती अपितु झूट बोलने, बुराई का स
रावण का पश्चाताप : हे प्रभु राम, आजके समय में भी स्त्री के अपहरण का दंड आपके भारतवर्ष में दस वर्षों से अधिक काकारावास नहीं है । मुझे अपने अपराध का कितना और कब तक दंड देते रहेंगे... आपकेभारतवासी !!! यह सत्य है कि मेरी बहन शूर्पणखा के अ