ये बच्चे कितने सच्चे,जितने धुन के पक्के,उतने ही मन के कच्चे,ये बच्चे कितने सच्चे।करते खूब शरारत,चलते उचक-उचक के,ये बच्चे कितने सच्चे।ये हैं कोरे कागज,भर दो रंग वही हैं पक्के,ये बच्चे कितने सच्चे।अभी त
गर्भवती महिला के लिए वह पल बेहद खास होता, जब उसे अपने गर्भधारण का पता चलता है।
आज बैठी थी मैं, अपने परिवार अपने बच्चों के पास, आज सुन रही थी मैं पहले से खास, बच्चे कहने लगे, इस तरह घर में कैद रहने से कहीं अच्छी थी, वो स्कूल की चारदीवारी, जहां पर 5 घंटे के लिए ही जातें, घर से बाहर जाते थे हम। टीचर की सख्ती, फिर भी दोस्तों संग मस्ती, पानी, टायलेट
मेरे बच्चों,सचेत रहना... बस कल ही गुड़िया मुझसे यह सवाल पूछ रही थी, 'मम्मी यौन उत्पीड़न का मतलब क्या होता है?' मैने खुद को संयत करने की कोशिश की थी। मैं अपने चेहरे पर 'जोएल' (बेटा) की आंकती हुई नज़र को महसूस कर सकती थी। वह मेरे भीतर चलते द्
जय श्री कृष्ण मित्रो ... #हक़ीक़त ये भी है कि आज बच्चों के माता पिता बने रहने की बजाय उनके मित्र बनने की कोशिश करें ।अपनी मनमर्जी थोपने की बजाय उनकी खुशियों पर भी ध्यान दें तभी समाज को विकृति से बचाया जा सकता है ।बच्चों के साथ बैठना ,उन्हें सही संस्कार देना और घरों मे
आज बहुत बड़ी संख्या में छोटे बच्चे psychologist के पास जा रहे हैं. आज कम उम्र ही जब हम जानते भी नहीं थे की स्ट्रेस क्या है छोटे बच्चे जरा-जरा सी बात पर स्ट्रेस की स्थिति में आए जाते हैं.आखिर teenage की समझ को कैसे समझा जाये. कैसे छोटी उम्र के बच्चों को नाराज़ होने से बचाया
दोस्तों बात छोटी जरूर है, मगर हमारी बड़ी समस्या को दूर करती है, मैं यहाँ बात कर रही हूँ बच्चों के माता-पिता की और उनके बच्चों के भविष्य की.हम अपने बच्चों के भविष्य (Future) को बनाने के लिए क्या-क्या प्रयास करते हैं, बहुत से सपने भी देखते है, पर हममें कई पेरेंट्स की यह
....खिलने से पहले ही मुरझाता बचपन,येशोषित ये कुंठित ये अभिशप्त बचपन....आजके समाज मे बच्चों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए उपरोक्त दो लाइनें ही काफी है। हो सकता है कि बड़े या मध्यम वर्गीय परिवार में रहने वाले बच्चों की स्थिति आपकोसही लग
क्या बच्चों को काम पर रखना क़ानूनी है? नहीं, १४ साल से कम उम्र के बच्चों को काम देना गैर-क़ानूनी है; हालाँकि इस नियम के कुछ अपवाद हैं जैसे की पारिवारिक व्यवसायों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या गर्मी की छुट्टियों में काम कर सकते हैं l इसी तरह फिल्मों में बाल कलाकारों को का
बच्चों से कैसा व्यवहार करें इस वीडियो में बाल मनोविज्ञान के आधार पर यह बताने का प्रयास किया गया है कि बच्चों से कैसे व्यवहार करें। बच्चों से कैसा व्यवहार करें (Bachchon se kaisaa vyavahaar karen) - YouTube
कही जा रहे थे ! बस में थे , लगातार बरसात के चलते काफी जगह यातायातमें दिक्कत हो रही थी !ट्रैफिक चरम पर था ,साँझ का समय था ! अचानक बस की खिड़की से देखते हुएसमीप ही आकर रुकी स्कुल बस पर नजर पड़ी ,स्कुल बस के स्टॉप पर बहुत सी महिलाओंका झुण्ड अपने बच्चो की प्रतीक्षा कर रहा था !स्कूल बस से बच्चो के उतरते ही
अब वो नमी नहीं रही इन आँखों में शायद दिल की कराह अब,रिसती नही इनके ज़रिये या कि सूख गए छोड़पीछे अपने नमक और खूनक्यूँ कि अब कलियों बेतहाशा रौंदी जा रही हैं क्यूंकि फूल हमारे जो कल दे इसी बगिया को खुशबू अपनी करते गुलज़ार ,वो हो रहे हैं तार तार क्यूंकि हम सिर्फ गन्दी? और बेहद नीच एक सोच के तले दफ़न हुए जा
भारत हो या कोई भी देश हो हर माता पिता अपने बच्चों को असीम प्रेम करते है जिसका ऋण कोई भी नहींउतार सकता । पर असीम प्रेम करने पर बच्चों पर क्या क्या भीत सकती है शायद वो भी नहीं सोचते । मै एक ऐसा ही वाक्या बताने जा रहा हूँ । यदि आपके 2 बच्चें है और कोई विपत्ति या आपदा आती है जिसमें आप या तो अपने अपने आप
हमारे देश के बच्चे अश्लीलता का शिकार हो रहे हैं इसका वजह सिर्फ बॉलीवुड है |और एक बात और है कि आज के बच्चे सभ्यता से बेखबर हैं कहने का मतलब अंग्रेज की औलाद जैसे कुछ भी स्वदेशी नहीं सिर्फ विदेशी कपड़ा विदेशी ,चप्पल विदेशी और घर भी विदेशी ,पत्नी विदेशी जैसी लटके -झटके वाली ये है हमारे देश की नयीं पीढ़
आत्महत्या करना कायरता है अब चाहे किसी भी तनाव में हो पर जीवन की जंग तो हार ही गए। इस प्रकार का कायरता पूर्ण कार्य किसी को भी नहीं करना चाहिए। संघर्ष के बाद सफलता है और रात के बाद दिन है। यह प्रकृति का नियम है जिससे सृष्टि चल रही है। सुख और दुःख तो आते जाते रहते हैं। माता-पिता चाहें तो अपने