हरीश भट्ट
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मैं पल दो पल का शायर हूँ ... मुझसे पहले कितने शायर आए और आकर चले गए कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग़मे गाकर चले गए वो भी एक पल का किस्सा था मैं भी एक पल का किस्सा हूँ कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ मैं पल दो पल का शायर हूँ ...
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