कहाँ दिखता है अपने अन्दर का रावण,कहाँ मरता है अपने अन्दर का रावण,जलाने चले हैं हम पुतले रावण को,रावण,कुम्भकर्ण,मेघनाथ सब मिल जाएँगे,अपने अन्दर तो झाँको।त्रेतायुग में रावण ने हरा माता सीता को,आज हर गली
पुत्र वियोग में व्याकुल राजा दशरथ ने,आखिर तज दिए अपने प्राण ;अपने पिता की आज्ञा का पालन करते, सरयू पार हुए श्रीराम।वन में पाषाण शिला को स्पर्श कर, किया ऋषि माता अहिल्या
काल विवश पति कहा न माना (मन्दोदरी ) डॉ शोभा भारद्वाज राम कथा के मंचन के बाद दशहरा के दिन हर वर्ष एक कतार में रावण के एक तरफमेघनाथ उसका महान शूरवीर प्रतापी पुत्र जिसने पुत्र का धर्म निभाते हुए पिता सेपूर्व युद्ध में शत्रू के हाथी मृत्यू का वरन किया दूसरी तरफ कुम्भकरण जिसने श्रीहरी की
रावण का पश्चाताप : हे प्रभु राम, आजके समय में भी स्त्री के अपहरण का दंड आपके भारतवर्ष में दस वर्षों से अधिक काकारावास नहीं है । मुझे अपने अपराध का कितना और कब तक दंड देते रहेंगे... आपकेभारतवासी !!! यह सत्य है कि मेरी बहन शूर्पणखा के अ
क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें “रावण को हराने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है ।“ विजयादशमी यानी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि जो कि विजय का प्रतीक है। वो विजय जो श्रीराम ने पाई थी रावण पर, वो रावण जो प्रतीक है बुराई का, अधर्म का ,अहम् का, अहंका
रावण के महिमामंडन का खंडन आजकल सोशल मिडिया पर एक चलन बहुत तेजी से चल पड़ा है , रावण के बखान..!! वो एक प्रकांड पंडित था जी....उसने माता सीता को कभी छुआ नहीं जी....अपनी बहन के अपमान के लिये पूरा कुल दाव पर लगा दिया जी.....!!!मेरे कुछ मित्र ब्राह्मण होने के कारण
बुराई का प्रतीक रावण, जो अपनी नाभि में अमृत होने के कारण अमर है. श्रीराम भी रावण के शरीर को ही खत्म कर पाए थे, परन्तु उसकी आत्मा को नहीं मिटा सके, क्योंकि आत्मा तो अजर-अमर है. वहीं आत्मा समाज में विचरण कर है, और अपने मन माफिक शरीर को देखते ही उसको आशिया बनाकर घिनौने कृत्