एयरपोर्ट में वो लड़का बुके पकड़े खड़ा हुआ था और उसने समीर नंदा को आवाज़ दी थी, जिसे सुनकर समीर नंदा, मोहन और मृणाल तीनों पीछे मुड़ गए थे । उसे देखते ही जहां मोहन और समीर नंदा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई वही मृणाल का चेहरा सपाट बना रहा ।
" अच्छा हुआ तुम फूल ले आए, तुम्हारी होने वाली मंगेतर इतने सालों बाद वापिस आ रही है उसे ये देख कर बहुत अच्छा लगेगा ।"मिस्टर नंदा ने मंगेतर शब्द पर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर कहा और फिर उसने कनखियों से मृणाल को देखा ।
और मृणाल को भी ये बात साफ़ पता चली, वो सिर हिलाते हुए वहां से चली गई ।
"दी, जीजू...।" मृणाल ने श्रद्धा और राजीव के पास जाकर कहा ।
"अरे.. मृणाल आ गई तुम ।" श्रद्धा ने उसे देख कर मुसकुराते हुए कहा ।
मृणाल बस हल्के से मुस्कुरा दी और श्रद्धा के बगल में जाकर खड़ी हो गई।
" मृणाल आज तुम रुकोगी न, मलहोत्रा मेंशन में । वाणी इतने टाईम बाद आ रही है तो, उसे तुम्हारे साथ टाईम स्पेंड करना होगा ।" राजीव ने मृणाल को देखते हुए कहा ।
उसकी बात सुनकर मृणाल ने एक गहरी सांस ली " सॉरी, जीजू पर आप भी जानते हैं ये पॉसिबल नहीं है ।"
"कब तक ऐसा चलेगा मृणाल, मुझे नहीं पता पापा और तेरे बीच के इस लड़ाई की वजह क्या है पर इसकी वजह से तुम हम सब से भी दूर हो गई हो ।"श्रद्धा ने मृणाल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ।
" सॉरी दी पर ये पॉसिबल नहीं है ।" मृणाल ने कहा तो श्रद्धा भी चुप हो गई ।
" वाणी , आ गई!" राजीव ने कहा तो दोनों लड़कियां ने उस तरफ़ देखा,एक चौबीस पच्चीस साल की दिखने वाली बेहद खूबसूरत लड़की, अपना बैग लिए हुए बाहर आ रही थी,वो लगातार चारों तरफ़ देख रही थी ।
" वाणी,यहां !" श्रद्धा ज़ोर से चिल्लाई तो वाणी का ध्यान भी उस तरफ़ गया और साथ ही मोहन, मिस्टर नंदा और व्योम भी उनके पास आकर खड़े हो गए ।
। वाणी मुसकुराते हुए उन लोगों की तरफ़ बढ़ने लगी ।
उन लोगों के पास पहुंचने के बाद सबसे पहले वो मोहन के। गले से लग गई ।
" मैंने आपको बहुत मिस किया ,डैड ।" वाणी ने उसके गले लगे हुए ही कहा ।
"मैंने भी ।" मोहन ने मुसकुराते हुए कहा ।
उसके बाद वाणी जाकर श्रद्धा और मृणाल के गले लग गई, उसने अपने दोनों हाथों से दोनों का एक एक कंधा पकड़ रखा था ।
" आप, दोनों की बहुत याद आई मुझे। " वाणी ने अलग होते हुए कहा ।
" हमने भी बहुत याद किया तुन्हें , और थैंक गॉड अब तुम यहां हमेशा के लिए आ गई हो...।" श्रद्धा ने उसका सिर सहलाते हुए कहा ।
" दी,आप नहीं बोलोगी कुछ ?" वाणी ने मृणाल की तरफ़ देखते हुए कहा ।
" क्या बोलूं मैं, सच बता दूंगी तो बुरा लग जाएगा तुम्हें नहीं पर यहां में मौजूद कुछ लोगों को ।" इस बार मृणाल ने मिस्टर नंदा को कनाखियों से देखा और मिस्टर नंदा का मुंह बन गया ।
वाणी ने कुछ नहीं कहा और फिर वो राजीव की तरफ़ बढ़ गई," कैसे हो आप ?"
" मैं तो एकदम बढ़िया , तुम बताओ कैसी हो, पहले से दुबली दिख रही हो, लग रहा है वहां जाकर डाइटिंग करने लगी हो ।" राजीव ने मुस्कुराते हुए काया ।
" ऐसा, कुछ भी नहीं है जीजू । अब वहां पर लोगों को आप जैसा टेस्टी खाना बनाना तो आता नहीं तो, वहां मैं खाती क्या ।" वाणी के गले से लटकते हुए कहा राजीव ने भी उसके बालों को सहला दिया, राजीव काफ़ी वक्त से मोहन की कंपनी में काम करता आ रहा था और वो अक्सर मल्होत्रा मेंशन आता जाता था, इसी दौरान श्रद्धा और राज़ीव प्यार में पड़े और मोहन ने उनकी शादी करा दी, उसे राजीव पर पूरा भरोसा था कि वो आगे कुछ बड़ा ज़रूर करेगा, और उसका भरोसा गलत नहीं था राजीव की ख़ुद की एक कंपनी थी, हालांकि वो उतनी बड़ी नहीं थी क्योंकी वो अपने शुरुआती दौर में ही थी ।
आगे क्या होगा कहानी में जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
धन्यवाद !