" मैम.!"वो पहले वाला लड़का फिर से लड़खड़ाते हुए केबिन में घुसा ।
" अब क्या हो गया..वीर ?" मृणाल ने उसे देखते हुए कहा।
" मैम, वो और गेम टेस्टिंग के लिए तैयार है तो मैं पूछने आया था कि क्या आप ट्राय करना चाहेंगी?" वीर ने कहा ।
" हां तो आराम से आओ ने, तुम तो ऐसे भागकर आए जैसे तुम्हारे पीछे भी कोई सांड पड़ा हो ।"मृणाल ने कहा ।
" वो एक्चुअली, मैम मुझे......" इतना कहकर उसने अपने हाथ की छोटी उंगली दिखा दी ।
मृणाल ने ये देख कर अपना सिर ना में हिला दिया , इस लड़के का कुछ भी नहीं हो सकता।
" हां तो पहले वाशरूम जाना चाहिए था..।" मृणाल ने कहा।
" वो आते आते रास्ते में लग गई...।" वीर ने बेचारगी से कहा ।
" तो अब खड़े क्या हो, जाओ जल्दी से ।" मृणाल ने कहा ।
वीर दांत दिखाते हुए वहां से निकल गया । और उसके पीछे पीछे मृणाल भी टेस्टिंग रूम की तरफ़ चली गई ।
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शाम का समय
मुंबई एयरपोर्ट
एयरपोर्ट पर मोहन मलहोत्रा पहले से खड़ा थे, उसके साथ ही श्रद्धा भी खड़ी थी वो एक अट्ठाइस साल की मासूम सी दिखने वाली औरत थी, उसके साथ ही उसका पति राजीव भी खड़ा था । दोनों साथ में खड़े थे और मुस्कुराते हुए बातें रहे थे, दोनों एक परफेक्ट कपल थे । और मोहन उन दोनों को देख कर खुश हो रहा था ।
" राजीव को श्रद्धा के लिए चुनना सबसे बेस्ट डिसीजन था ।" मोहन ने मन ही मन सोचा और फिर सामने देखने लगे जहां से सारे लोग बाहर आ रहे थे।
और तभी कोई उनकी बगल में आकर खड़ा हो गया " तो आखिर कार, हमारा सपना पूरा होने वाला है।" उसके बगल में खड़े आदमी ने कहा । वो ऊंचाई में मोहन से थोड़ा छोटा था, पर बाकी उसकी पर्सनेलिटी भी कम रौबदार नहीं थी ।
"हां, जल्दी से हम समधी बनेंगे और फिर हमारी कंपनीज़ आपस में मिल जाएंगी...।" मोहन ने कहा।
" और फिर हमें फोर्ब्स की लिस्ट में टॉप पर आने से कोई रोक नहीं पाएगा ।" उस आदमी ने कहा।
" ... तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे सपने कुछ ज़्यादा ही ऊंचाई पर उठ गए हैं समीर नंदा, ।" मोहन ने कहा।
" बिल्कुल नहीं, वैसे भी सपने बड़े ही देखने चाहिए।"मिस्टर नंदा ने कहा ।
" ठीक है, अब मोटिवेशनल स्पीकर मत बन जाना ।" मोहन ने सिर हिलाते हुए कहा,वो अभी भी सामने देख रहा था ।
" उसमें करियर नहीं है, शराब का ठेका खोलूंगा तो ज़्यादा पैसे मिलेंगे।" मिस्टर नंदा ने कहा ।
" सही कहा है किसी ने, कुछ आदतें कभी नहीं बदलती, कही तुम अभी भी शराब के ठेके पर तो दारू पीने नहीं चले जाते हो ना ।" मोहन ने कहा।
" मेरा बाप ज़िंदा नहीं है वरना उसके जीते जी तो उसने मुझे ठेके में पीने लायक पैसों से ज़्यादा कुछ नहीं दिया है ।"मिस्टर नंदा ने आराम से कहा । वो दोनों इतनी गंभीरता से बकवास कर रहे थे कि किसी को ये अंदाजा भी नहीं हो सकता था कि वो लोग ये सारी बातें कर रहे होंगे ।
"... वैसे तुम्हारी दूसरी बेटी नहीं दिख रही है, आज तो कम से कम उसने अपने पैरों को कष्ट दे दिया होता ।" मिस्टर नंदा ने टौंट मारते हुए कहा ।
" ... आपने मुझे याद किया मिस्टर नंदा। देखिए मैं आ गई ।" पीछे से मृणाल की आवाज़ आई और उसकी आवाज़ सुनकर दोनों ही पलट गए। एक तरफ़ जहां मोहन ने एक चैन की सांस ली वही मिस्टर नंदा के चेहरे पर चिढ़ के भाव आ गए।
" चलिए अब हाय कर भी दीजिए, मैं आपके लिए ही तो अपने पैरों को कष्ट देकर यहां तक आई हूं, वरना आप तो मुझे जानते ही हैं।" मृणाल ने मुसकुराते हुए कहा ।
" वैसे कंपनी कैसी चल रही है तुम्हारी, मैंने सुना है तुम्हारी गेम्स के रिव्यूज और रेटिंग्स काफ़ी डाउन हो गई है ।" मिस्टर नंदा ने मृणाल पर सीधा धावा बोल दिया ।
मृणाल ने बिना उनकी बात पर नाराज़ हुए कहा" आप तो ये पुरानी न्यूज सुना रहे हैं, लेटेस्ट न्यूज मैं आपको सुनाती हूं..।" इतना कहकर उसने अपने फोन पर कुछ निकाला और फिर स्क्रीन मिस्टर नंदा की तरफ़ कर दी ,वो प्ले स्टोर की टॉप ट्रेडिंग गेम्स की लिस्ट थीं जिनमें ऊपर के तीनों ही गेम मृणाल की कंपनी ने बनाया था।
वो देखने के बाद मिस्टर नंदा की चिढ़ और बढ़ गई ।
" डैड.....!"
तभी किसी लड़के की आवाज़ उन तीनों के कानों पर पड़ी और तीनों ने एक ही साथ आवाज़ वाली दिशा में देखा, वहां पर मृणाल का ही हमउम्र का लड़का था जिसने अपने हाथों में फूलों का एक बड़ा सा बुके लिया हुआ था।
आगे क्या होगा कहानी में जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।