उसी समय
M&M स्टूडियोज का ऑफिस
ऑफिस के अंदर सारे लोग काम में लगे हुए थे । अंदर ढेर सारे बड़े बड़े केबिन बने हुए थे, उनके अंदर ढेर सारे लोग लैपटॉप्स के सामने काम कर रहे थे। हर केबिन के बाहर तख्तियों में उनके अंदर चल रहे काम के बारे में लिखा था । ये कंपनी अलग अलग तरीके के गेम बनाती थी जैसे सर्वाइवल गेम्स, पजल्स, मिस्ट्री सॉल्विंग आदि और भी कई सारे थे । हर तरह के गेम लिए अलग अलग केबिन थे और एक बड़ा सा टेस्टिंग रूम भी था, जहां सारे गेम्स को लॉन्च करने से पहले टेस्ट किया जाता था। सारे केबिंस के अंत में एक थोड़ा छोटा मतलब बाकी केबिन्स से छोटा एक केबिन था, वहां पर एक लड़की कुर्सी में बैठी हुई थी और उसके सामने एक लड़का खड़ा था, जिसकी हाईट छः फुट के आस पास थी, उसकी आंखों में एक चश्मा चढ़ा हुआ था , और चश्मे के पार से वो अपनी गहरी भूरी आंखों को बार बार झपका रहा था, कुल मिलाकर वो बहुत मासूम लग रहा था । और सामने बैठी लड़की उस लड़के को कुछ समझा रही थी ।
"..... इसमें अभी बहुत सरे ग्लिच्स है। इसकी लॉन्चिंग को हमें डिले करना पड़ेगा। अभी के लिए ' सिग्मा वॉर्स ' को लॉन्च कर दो और साथ ही हमारे सारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर इसकी लॉन्चिंग की न्यूज पोस्ट कर दो।" उस लड़की ने कहा ।
"जी मैम ।" उस लड़के ने सिर हिलाया ।
" और हां, इसकी एनीमेशन वीडियो को हमारे दूसरे गेम्स के बीच में आने वाले एड्स में इनक्लूड कर दो ।" उस लड़की ने दुबारा कहा ।
और वो लड़का ने हां में सिर हिला दिया ।
" ठीक है, तुम जाओ।" उस लड़की ने कहा और उसने अपनी कुर्सी से सिर टिका लिया और आँखें बंद कर लीं ।
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मृणाल मल्होत्रा, मोहन मल्होत्रा की दूसरी बेटी। M&M यानी मुक्ता एंड मृणाल स्टूडियोज की मालकिन जो इंडिया की टॉप गेमिंग कंपनी है । उसने ये कंपनी का नाम अपनी मां मुक्ता के नाम पर रखा था जो अब इस दुनिया में नहीं थीं।
उसकी और मोहन मलहोत्रा की आपस में बिल्कुल नहीं बनती थी दोनों के बीच एक दीवार थी और ये दीवार खुद मृणाल ने खड़ी की थी । इसी वजह से उसने ना सिर्फ़ मोहन को कम्पनी संभालने से मना कर दिया बल्कि घर छोड़ कर बाहर रहने लग गई। उसने ख़ुद को मोहन से पूरी तरह अलग करने की कोशिश की थी, पर वो इस बात को नहीं नकार सकती थी कि वो उसकी ही बेटी है , वो दोनों अगर साथ खड़े हो तो कोई भी ये आसानी से कह देगा वो उसकी ही बेटी है, उसका चेहरा तो उतना मोहन से नहीं मिलता था पर उसकी आंखें बिलकुल मोहन पर गईं थीं, समंदर की तरह नीली।
वो अभी कुर्सी से सिर टिका कर बैठी ही थी कि, श्रद्धा ने उसे भी फोन किया ।
" हां, दी बोलिए ।" मृणाल ने कहा ।
" वो वाणी आज वापस आ रही है, और वो चाहती है कि उसका पूरा परिवार उसे लेने आए .... ।" श्रद्धा ने हल्के से कहा क्योंकी उसे भरोसा नहीं था कि मृणाल आने के लिए मानेगी भी या नहीं ।
पर उसकी सोच के विपरीत मृणाल ने पूछा " कब तक पहुंच रही है वो ?"
" वो आज शाम तक आ जाएगी,तुम भी आ जाना फिर हम सब फैमली डिनर पर चलेंगे।"श्रद्धा ने खुश होते हुए कहा ।
उसकी इस बात पर मृणाल चुप रही पर फिर थोड़ी देर बाद जैसे उसे कुछ याद आया " वैसे दी, वहां मिस्टर नंदा भी होंगे क्या?"
" हां, वो और व्योम भी, अब तुम वहां पर उनसे भिड़ मत जाना " श्रद्धा ने थोड़ी परेशानी से कहा।
" दी, मैं तो बस लाल कपड़े पहने हुए रहती वो ही आ जाते हैं सांड बन कर सींग मारने ।" मृणाल ने एक गहरी सांस लेकर कहा तो श्रद्धा को हंसी आ गई ।
" हां हां ठीक है, उनका तो हम कुछ नहीं कर सकते तो तुम ही उनसे दूर रहना । तुम्हें देखते ही उनके अंदर की ताना देने वाली आंटी जाग उठती है तो, ध्यान से ।" श्रद्धा ने कहा ।
" ठीक है मैं पूरी कोशिश करूंगी,पर अगर उन्होंने कुछ कहा तो दी मैं सच बता रहीं हूं, अपने अगले गेम को उन्हीं की मर्डर मिस्ट्री पर बेस्ड रखूंगी ।"मृणाल ने कहा और श्रद्धा समझ गई थी कि एयरपोर्ट पर माहौल बिगड़ने वाला है ।
आगे क्या होगा कहानी में जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
धन्यवाद !