23 सितम्बर 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
किंकर्तव्यविमूढ़ :१-दुविधा की स्थिति,२-भौचक्का या अवाक रह जाना,३-जो यह न समझ सके कि उसे अब क्या करना चाहिएप्रयोग-आपको कोई एक निर्णय तो लेना ही होगा कि जीवन में नौकरी करोगे या व्यापार, लेकिन इस तरह किंकर्तव्यविमूढ़ होकर बैठने से कोई लाभ नहीं होगा I
लब्बोलुआब :१-सारांश, सार, निचोड़, संक्षेप;२-भावार्थ, तात्पर्य;प्रयोग: उन लोगों की पूरी बात का लब्बोलुआब बस यही है कि उन्हें अधिक से अधिक पैसा चाहिए.
रजत :१-चांदी, रूपा;२-हाथी दांत;३-मुक्ताहार;४-धवल रंग;५-चांदी का बना हुआ, चांदी के रंग का, उज्जवल, शुभ:प्रयोग: तैराकी प्रतियोगिता में तीन खिलाड़ियों को रजत पदक से सम्मानित किया गया I
पाचक :१- रसोइया, बावर्ची, खानसामा;प्रयोग : हमारा पाचक अत्यंत स्वादिष्ट भोजन बनाता है I२-वह पदार्थ जो खाई हुई चीज़ को पचाता हो या पाचन शक्ति बढ़ाता हो;प्रयोग : प्राकृतिक वस्तुओं से बना अवलेह सर्वोत्तम पाचक होता है I►अवलेह का अर्थ होता है, किसी वस्तु का गाढ़ा लसीला रूप जैसे गाढ़ी औषधि आदि;३-शरीर के अंदर
अप्रतिम :१- जिसकी तुलना या बराबरी का दूसरा न हो२- बेजोड़३- अनुपमप्रयोग: विविध झांकियों की अप्रतिम सुंदरता ने दर्शकों का मन मोह लिया I
अभिलेख : किसी घटना, विषय, व्यक्ति आदि से संबंधित लिखित प्रामाणिक सामग्री;प्रयोग: अभिलेखों से ज्ञात होता है कि विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य पहले भी कमज़ोर नहीं था I
पथ्य : १- शीघ्र पचने वाला भोजन जो रोगी को दिया जाता है.२- संयमित आहार ३- पथ अथवा मार्ग सम्बन्धी प्रयोग:१- रोज़-रोज़ पथ्य खाकर रोगी उकता जाता है I २-स्वस्थ रहने के लिए पथ्य अति आवश्यक है I३- पथ्य कार्य के कारण, इन दिनों इस मार्ग पर अधिक भीड़ रहती है I
अनन्यमनस्क : १-एकाग्रचित्त२-स्थिरचित्त ३- तन्मय४- एकतान ५- अनन्यचित्त प्रयोग : अनन्यमनस्क होकर कंठस्थ किया हुआ पाठ सहज ही याद हो जाता है I
पल्लवी : १- जड़, तने, शाखा तथा पत्तियों से युक्त बहुवर्षीय वनस्पति,२- नए पत्तों से युक्त३- पेड़, वृक्ष, पादप, तरु प्रयोग : पूजा-गृह के पास पल्लवी पर पीले प्रसून अति सुन्दर प्रतीत हो रहे हैं I
कनक : 1- एक बहुमूल्य पीली धातु जिसके गहने आदि बनते हैं,2- स्वर्ण, कंचन, हेम, कनक, सुवरन, कांचन, सुवर्ण, कञ्चन, 3- धतूरा, मंदार, मन्दार, शिवप्रिय, स्वर्णफल, धत्तूर,4- गेहूँ, कनक, गोधूम, गन्दुम, शुक्रद, बहुदुग्ध5- पलाश, पलास, किंशुक, टेसू, टेसुआ, ढाक,6- खजूर, खर्जूर, खरजूर, कनक, महारसप्रयोग: अत्यंत सु
निर्निमेष :१- बिना पलक झपकाए२- टकटकी बांधे हुए३- एकटक निगाह से प्रयोग : वह वृद्ध स्त्री अपनी ही उधेड़-बुन में गुम, शून्य में निर्निमेष निहारती रही बड़ी देर तक...
विहग :१- पक्षी२- पखेरू ३- नीड़ज ४- खग५- विहंग प्रयोग : रंग-बिरंगे विहग देखकर बच्चों की खुशी का ठिकाना न रहा ।
आविर्भाव :१- उत्पत्ति २- उद्भव ३- प्राकट्य ४- जन्म ५- उद्गम प्रयोग : पृथ्वी पर सबसे पहले एककोशीय जीवों का आविर्भाव हुआ ।
कौमुदी :१- चाँदनी२- ज्योत्सना३- चंद्रप्रभा४- चन्द्रिका५- मालतीप्रयोग : बर्फ़ से ढकी, कौमुदी में नहाई घाटी ऐसी चमक रही थी मानो चाँद धरा पर उतर आया हो।
नैहर : १- विवाहित स्त्रियों के लिए उनके माता-पिता का घर२- मायका, ३- पीहर,४- मैहर, ५- प्योसारप्रयोग : ससुराल में चाहे महलों का सुख मिल जाए लेकिन बेटियों को नैहर जैसा सुख शायद ही कभी महसूस हो I
शैलेन्द्र : १- हिमालय, हिमांचल, हिमवान्, हिमाद्रि, २- गिरिपति, गिरीश, गिरिराज, ३- शैलेन्द्र, शैलेंद्र, शैलाधिप, शैलाधिराज, ४- उदगद्रि, तुहिनाद्रि, तुहिनाचल, तुहिनगिरि, तुहिनशैल, ५- मेनाधव, प्रालेयाद्रिप्रयोग : “पूर्व दिशा का दिग्गज समझो, ऐरावत कहो गजेन्द्र,शीश-मुकुट-मणि-मस्तक भारत, कहलाए शैलेन्द्र ।
मूर्द्धन्य : १- वह वर्ण जिसका उच्चारण मूर्द्धा से होता है जैसे ‘ट’ वर्ग के सभी वर्ण मूर्द्धन्य हैं I २- जो बहुत बड़ा या अच्छा हो, श्रेष्ठ, उदात्त, अध्यारूढ़;जैसे : पं0 महामना मदन मोहन मालवीय मूर्द्धन्य विद्वान थे I ३- मस्तक में स्थित;जैसे : शिव भक्त स्वामी जी का मूर्द्धन्य तिलक उन पर बहुत फबता है I
किंवदंती : १- ऐसी बात जो लोग परंपरा से सुनते आये हों, पर जिसके ठीक होने का कोई पुष्ट प्रमाण न हो२- दंतकथा, ३- लोक-कथनप्रयोग: कुछ कलाकार अपने जीवनकाल में इतने प्रसिद्द हो जाते हैं कि हम उन्हें जीवित किंवदंती कहा करते हैं ।
अभिराम : १- सुन्दर २- आकर्षक ३- मनोरम ४- चित्ताकर्षक ५- सुरम्य ६- मनोरम ७- अभिरम्य ८- मञ्जु९- ललित १०- प्रियदर्शन प्रयोग : कतिपय चितेरों की ललित कृतियाँ अत्यंत मनोरम एवं अभिराम प्रतीत होती हैं I
उत्कर्ष : १- प्रकर्ष२- प्रकर्षण ३- उत्कर्षण४- भाव, मूल्य, महत्व आदि की सबसे बढ़ी हुई अवस्थाप्रयोग : सेठ करोड़ीमल का व्यापार इन दिनों सफलता के उत्कर्ष पर है ।
निरूपण :1- कोई विचार किसी के सम्मुख प्रस्तुत करने की क्रिया या भाव 2- निर्वचन प्रयोग : भाषा बुद्धि का एक उपकरण है । सम्यक निरूपण या वर्णन का माध्यम है ।
विभव : १- वैभव २- ऐश्वर्य३- धन-दौलत ४- अर्थ ५- वित्त प्रयोग: हमारे सत्कर्म हमें किसी न किसी प्रकार के विभव की प्राप्ति कराते हैं ।
निखिल : १- सम्पूर्ण २- अशेष ३- आद्योपांत ४- अखिल ५- समग्र प्रयोग : स्वामी विवेकानंद जैसा महान योगी एवं विद्वान, निखिल संसार में ढूंढना कठिन है ।
विज्ञ : १- प्रबुद्ध, २- कोविद, विद्वत् , ३- वेत्ता, बुद्ध, भिज्ञ, ४- अभिजात, विज्ञ, अभिज्ञ, ५- सुप्रकेत, युक्तार्थ, विशारद, प्रयोग : पं० महामना मदनमोहन मालवीय अत्यंत विज्ञ पुरुष थे ।
वैविध्य : १- विविधता, २- अनेकता, ३- विभिन्नता, ४- अनेकत्व, ५- वैभिन्यप्रयोग : भारतीय संस्कृति में कितना वैविध्य है फिर भी अप्रतिम एकता I
तरुण : १- युवक २- जवान ३- तलुन४- मुटियार५- वयोधाप्रयोग : तरुणों के लिए जैसे भविष्य उज्जवल होता है, वैसे ही वृद्धों के लिए अतीत ।
प्रमुदित : १- प्रसन्न २- आह्लादित ३- प्रफुल्ल ४- प्रहर्षित ५- पुलकित प्रयोग : सागर निज छाती पर जिनके,अगणित अर्णव-पोत उठाकर । पंहुचाया करता था प्रमुदित,भूमण्डल के सकल तटों पर ।। -पं0 रामनरेश त्रिपाठी
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