माने जो कोई बात, तो इक बात बहुत है
माने जो कोई बात, तो इक बात बहुत है,सदियों के लिए पल की मुलाक़ात बहुत है।दिन भीड़ के पर्दे में छुपा लेगा हर इक बात,ऐसे में न जाओ, कि अभी रात बहुत है।महिने में किसी रोज़, कहीं चाय के दो कप,इतना है अगर साथ, तो फिर साथ बहुत है।रसमन ही सही, तुमने चलो ख़ैरियत पूछी,इस दौर में अब इतनी