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शब्द

5 अक्टूबर 2016

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.....................शब्द.........................

शब्दों की एक अपनी दुनियां है

इनको गढ़ा हमनें,

और अलग-अलग रूप दिया।

शब्द मरते नहीं,

इंसानों की तरह

वह जीवित रहते हैं,

अनन्त काल तक।

शब्दों को भी आत्मा की तरह,

अमरत्व प्राप्त है।

ये भी रूढ़ होकर,

शरीर त्याग देतें हैं।

फिर इनका जीवन

शुरू होता है,

एक नये शरीर में।

इनका अर्थ भी हम

समय - समय पर बदल देते हैं,

अच्छा या बुरा।

हम किसी को बहुत बड़ा,

या फिर अदना कर देते हैं।

अदने को हम रोज़ लताड़ते हैं,

अपने रिश्तों में।

बड़े को ऊँचा दर्जा देतें हैं

अपने सम्बन्धों में।

इन दोनों की भूमिका अहम है,

हमारे जीवन में।

फिर क्यों एक को बड़ा,

दूसरे को अदना का दर्जा देते हैं?

क्या दोनों का वजूद बराबर है?

क्योंकि कभी अदना

बड़ा होता है,

और कभी बड़ा, अदना।

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