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शबनम

30 नवम्बर 2021

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मेरी मां की आंखों में हर पल

शबनमी अहसास होता है।।

सबके सुख दुख का ऊंचा

पहाड़ होता है।।

धरा से मिलने आसमां आ नहीं पाता।

इसलिए तन्हाई में छुप कर रोता है।।

वहीं आंसू शबनम स्वरूप में।

धरा  पल्लू के आगोश में ले आती है।।

मेरी मां के पल्लू में भी जमाने भर की कमाई।

आंखों से शबनम स्वरूप हमेशा झिलमिलाती है।।

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रचनाएँ
समाज
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समाज में जागरूकता दिखावे में है जबकि बहुत सी चीजें जनता जानती ही नहीं है इसलिए समाज को आईना दिखाने की आवश्यकता है।।
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