shabd-logo

आटे की लोईयां

2 दिसम्बर 2021

26 बार देखा गया 26
गेहूं के आटे की लोईयां
पंक्ति बद्ध पड़ीं है।।
एक लोई को मैंने हाथ लगाया
दूसरी आशा से मुझे देखने लगी।।
पंक्ति में पड़ी लोईयां मुझे देखते हुए
शोर मचाने लगी दइया ये।।
हालात देख मैं गुस्साई और चिल्लाई
बोली,चुप हो जाओ तुम सब।।
सबकी बारी आयेगी।
सबका एक ही आगाज और अंजाम होगा।।
एक एक कर बेली जाओगी
सिकोगीं और किसी के मुंह का ग्रास बनोगी।।
यह जीवन भी ऐसा ही है।
सनेगें,बेले जायेंगे और आहिस्ता आहिस्ता
ग्रास बन हजम हो जायेंगे।।
यही दास्तां है ज़िन्दगी का।
आज हैं और पता नहीं है कल का।।
8
रचनाएँ
समाज
0.0
समाज में जागरूकता दिखावे में है जबकि बहुत सी चीजें जनता जानती ही नहीं है इसलिए समाज को आईना दिखाने की आवश्यकता है।।
1

शबनम

30 नवम्बर 2021
3
0
0

<p>मेरी मां की आंखों में हर पल</p> <p>शबनमी अहसास होता है।।</p> <p>सबके सुख दुख का ऊंचा</p> <p>पहाड़

2

मेरे बाबाजी

1 दिसम्बर 2021
2
0
0

<p><br></p> <p>एक बार की बात है हम सब रात के भोजन के लिए तैयारी कर रहे थे। खाना तैयार होते ही बाबा क

3

स्त्री

2 दिसम्बर 2021
1
0
0

<div>स्त्री खुश हो जाती है।</div><div>प्यार के दो बोल से।।</div><div>हमसफ़र के कह देने से ही</div><d

4

सीख

2 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>कुदरत क्यों रुठी।</div><div>अनेकानेक जिन्दगियां छूटी।।</div><div>इंसान बन बैठा है मसीहा।</div><

5

आटे की लोईयां

2 दिसम्बर 2021
1
0
0

<div>गेहूं के आटे की लोईयां</div><div>पंक्ति बद्ध पड़ीं है।।</div><div>एक लोई को मैंने हाथ लगाया</di

6

प्रकृति की गोद में

2 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>पिछले साल महामारी में बैठी मैं</div><div>होने वाली मौतों से आतंकित थी।।</div><div>आने वाले समय

7

सुबह भी होगी

2 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>जिन्दगी की सुबह हुई है आज तो</div><div>कल शाम भी होगी ही।।</div><div>अंधेरा गम का गर है आज</div

8

आवरण

2 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>कब तक झूठा आवरण</div><div>तुम्हारी देखभाल करेगा मेरे दोस्त।</div><div>एक दिन ऐसा आएगा</div><div

---

किताब पढ़िए