2 दिसम्बर 2021
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मैं समाजशास्त्र विषय की प्रोफेसर हूं और शब्दों की लड़ियां पिरो कर भावों को व्यक्त करने में विश्वास करती हूं।D
<p>मेरी मां की आंखों में हर पल</p> <p>शबनमी अहसास होता है।।</p> <p>सबके सुख दुख का ऊंचा</p> <p>पहाड़
<p><br></p> <p>एक बार की बात है हम सब रात के भोजन के लिए तैयारी कर रहे थे। खाना तैयार होते ही बाबा क
<div>स्त्री खुश हो जाती है।</div><div>प्यार के दो बोल से।।</div><div>हमसफ़र के कह देने से ही</div><d
<div>कुदरत क्यों रुठी।</div><div>अनेकानेक जिन्दगियां छूटी।।</div><div>इंसान बन बैठा है मसीहा।</div><
<div>गेहूं के आटे की लोईयां</div><div>पंक्ति बद्ध पड़ीं है।।</div><div>एक लोई को मैंने हाथ लगाया</di
<div>पिछले साल महामारी में बैठी मैं</div><div>होने वाली मौतों से आतंकित थी।।</div><div>आने वाले समय
<div>जिन्दगी की सुबह हुई है आज तो</div><div>कल शाम भी होगी ही।।</div><div>अंधेरा गम का गर है आज</div
<div>कब तक झूठा आवरण</div><div>तुम्हारी देखभाल करेगा मेरे दोस्त।</div><div>एक दिन ऐसा आएगा</div><div