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स्त्री

2 दिसम्बर 2021

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स्त्री खुश हो जाती है।
प्यार के दो बोल से।।
हमसफ़र के कह देने से ही
भोजन सुस्वादु बना है।।
आज खा कर मज़ा आ गया।
बच्चे जब समझते हैं
मां को प्यार से पुकारते हैं।।
स्त्री दोगुने उत्साह से
बच्चों की पसंद को ढूंढ लातीं है।।
ससुराल में जब सासू मां
बहू को बेटी मान
तारीफों के पुल बाधंती है।।
स्त्री अपनी जन्मदात्री को भूल
सासू मां से भावनाओं से जुड़
दिल का रिश्ता निभातीं है।।
सच कहूं तो स्त्री बहुत सस्ते में बिक जाती है।
प्यार और ममता की छांह में
अपना आशियां तलाशती है।।
वह तो ढूंढती है अपने लिए
मान सम्मान और थोड़ा अधिकार
कभी बच्चों के ख्वाबों में
कभी जीवनसाथी की आंखों में।।
कभी रिश्तों की बागडोर में
स्त्री सबको खुश देख
अपनी खुशी ढ़ूढ लेती है।।
प्यार व अधिकार के अहसास में
जीवन ज्योति आजीवन जलाती है।।

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रचनाएँ
समाज
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