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नारीमुक्ति चेतना का बीजरोपण द्वितीय युद्ध के पश्चात ही उभर कर सामने आया। भारतीय नारी अपने धार्मिक प्रभावित सामाजिक परंपराओं से अधिक भावात्मक तौर पर संबंद्ध है। जिसके कारण अनेक दक़ियानूसी बंधनों में
आधुनिक नारी जीवन में परिवर्तित होती दृष्टि, अंतर्द्वद्व व परंपरा और नये रूप में पनपती समस्याएं नारी की चेतना पर कभी थोपी एवं कभी परिस्थितिवश अंकित की गई हैं। आज की नारी समय के साथ-साथ जागरुक नि:संदेह