सुनो,,इश्क है तुमसे तुम बिन कैसे गुजारा होगा..
यकीनन..दिल ने तेरे आज मुझको पुकारा होगा..
जब जब देखूं आईना तू ही नजर आता है..
तुझको सोचूं तो सांसों में तू ठहर जाता है..
आज सोच कर तुमने खुद को निखारा होगा..
यकीनन..दिल ने तेरे आज मुझको पुकारा होगा..
खुदा का भी अंदाज ए बयां कुछ और होगा..
वह जुदा होकर भी मेरी रूह के करीब होगा..
जब तुम्हारे जैसा महबूब मेरे लिए उतारा होगा..
यकीनन..दिल ने तेरे आज मुझको पुकारा होगा..
बिखरती रही होगी शबनम की बूंदे उस रात..
हाथ पकड़ कर चले थे हम चांदनी रही साथ..
जब तेरी नजरों ने मेरे रूप को युं संवारा होगा..
यकीनन..दिल ने तेरे आज मुझको पुकारा होगा..
जो कह दो तुम अपने लबों से इश्क है तुमसे..
चलो हम भी इकरार करेंगे कि इश्क है तुमसे..
तो क्या खूबसूरत मेरे महबूब वो नजारा होगा..
यकीनन..दिल ने तेरे आज मुझको पुकारा होगा..
!!..कंचन..!!