मन बेचैन हो रहा मचलने लगे मेरे जज्बात..!!
अपने "जुनून ए इश्क" कि हम कैसे कहें बात..!!
यार,,यकीन नहीं हम तुमसे मोहब्बत करते हैं
क्यों नजरअंदाज करके वो यु शरारत करते हैं
बेखुदी में डूबे हुए क्यों रहते हैं तुम्हारे हालात..
अपने "जुनून ए इश्क" कि हम कैसे कहें बात..!!
हम इश्क की बूंदों को क्यों बेवजह बहा रहे हैं
क्या,,आशिकी समझी नहीं बस सहे जा रहे हैं
तुम आओगे तो तुम्हारे दामन में करुंगी बरसात..
अपने "जुनून ए इश्क" कि हम कैसे कहें बात..!!
तू बता कब तलक तेरा इंतजार करती रहूंगी..
अपनी मोहब्बत का कब तक इकरार करुंगी..
दिन गुजर गई खामोशी से ना गुजरे मेरी रात..
अपने "जुनून ए इश्क" कि हम कैसे कहें बात..!!
अब जमाने भर की तुमसे बात नहीं करना..
अब चंद पलों की भी मुलाकात नहीं करना..
यकीनन कुछ नहीं हूं तुम ना बनाओ खैरात..
अपने "जुनून ए इश्क" कि हम कैसे कहें बात..!!
😊😊😊