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श्री कृष्ण का जन्म तथा वंश

17 सितम्बर 2015

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श्री कृष्ण जी का जन्म चन्द्रवंश मे हुआ जिसमे ७ वी पीढी मे राजा यदु हुए और राजा यदु की ४९ वी पीढी मे शिरोमणी श्री कृष्ण जी हुए राजा यदु की पीढी मे होने के कारण इनको यदुवंशी बोला गया , श्री कृष्ण जी के वंशज आज भाटी, चुडसमा, जाडेजा , जादौन, जादव और तवणी है जो मुख्यत: गुजरात, राजस्थान , महाराष्ट्र, और हरियाणा मे है --!!! श्री कृष्ण जी का छत्र और सिंहासन आज भी जैसलमेर के भाटी राजपरिवार के संग्राहलय मे सुरक्षित रखा हुआ है जो की श्री कृष्ण जी के वंशज है श्रीकृष्ण और अर्जुन ऐसे पौराणिक पात्र हैं, जिनके कारण कर्म की अहमियत को दुनिया ने जाना। श्रीकृष्ण द्वारा युद्धभूमि में निष्क्रिय हुए अर्जुन को कर्म के लिए प्रेरित करने के लिए दिए गए उपदेश भगवद्गीता के पावन ग्रंथ के रूप में जगत प्रसिद्ध है। भगवान् कृष्ण और अर्जुन दोनों ने कर्म और आचरण से न केवल अपने वंश का गौरव बढ़ाया बल्कि वह ऊंचाई दी, जिसे युग-युगान्तर तक भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए यहां जानते हैं श्रीकृष्ण और अर्जुन की वंशावली से जुड़ी रोचक बातें - भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन दोनों चन्द्रवंशी थे। समय के बदलाव के साथ भगवान श्री कृष्ण यदुवंशी बने। वहीं अर्जुन पुरुवंशी हुए। बाद में कौरव और पांडव दोनों भरतवंशी या कुरुवंशी कहलाए। ब्रह्मा के मानस पुत्र ऋषि अत्री और सती अनसूया से चंद्र जन्मे। इसके बाद देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा और चन्द्रमा के मेल से बुध पैदा हुए। बुध और इला से ही पुत्र पुरुरवा का जन्म हुआ। इसके बाद पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी के विवाह से छ: पुत्रों का जन्म हुआ। जिनमें आयु नाम के पुत्र से नहुष और नहुष के बेटे हुए ययाति। ययाति के देवयानी और शर्मिष्ट से मिलन से क्रमश: यदु और पुरु जन्में। इसी यदु और पुरुवंश में श्री कृष्ण हुए और अर्जुन पैदा हुए। जानते है संक्षिप्त में यदुवंश और पुरु वंश की पीढ़ी दर पीढ़ी जानकारी - यदुवंश -यदु - विदर्भ - सात्वत्त - वृशनी और अन्धक वृशनी का पर पोता वृशनी - चित्ररथ - वासुदेव- भगवान् श्री कृष्ण - प्रद्युम्न - अनिरुद्ध - वज्रनाभ पुरु वंश- पुरु- रैभ्य- दुष्यंत- राजा भरत- दत्तक पुत्र भरद्वाज- ब्रह्तक्ष्त्र- हस्ती-अज्मीध- कुरु - शांतनु - भीष्म पितामह चित्रांगद और विचित्रवीर्य -पांडू -अर्जुन -अभिमन्यु - परीक्षित - जन्मेजय- जन्मेजय के बाद 26वी पीढ़ी में राजा क्षेमक अन्तिम राजा माने गए हैं। भारत में शुद्ध क्षत्रिय राजपूत यदुवंशियों की प्रमुख रियासते करौली,जैसलमेर,कच्छ,भुज राजकोट,विजयनगर, जामनगर,सिरमौर,मैसूर आदि हैं. दक्षिण का विजयनगर साम्राज्य, होयसल,देवगिरी आदि भी यदुवंशियो के बड़े राज्य थे। पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में भी बड़े बड़े भाटी मुस्लिम राजपूत जमीदार हैं,सिंध में सम्मा,भुट्टो,भुट्टा भी यदुवंशी राजपूत हैं।... उत्तर पश्चिम भारत के अतिरिक्त महाराष्ट्र में भी मराठा क्षत्रियो में जाधव वंश(यदुवंशी) पाया जाता है.छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई भी यदुवंशी क्षत्राणी थी.

विवेक सिंह चंदेल की अन्य किताबें

Subhash Yadav

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भगवान्भागवान श्री श्री कृष्ण की जाती जाती जाती जाती जाती कोनसी जाती कोनसी है जाति कौनसी है

29 दिसम्बर 2017

जीतेन्द्र रावल

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जय श्री कृष्णा

24 दिसम्बर 2017

Sanjay

Sanjay

जय हो यदुवंशी यदुवंशी,.?

20 नवम्बर 2017

राहुल सिंह राजपूत

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जय राजपुताना

16 मई 2017

राइट

14 अगस्त 2016

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भारत की छद्म स्वतन्त्रता

17 सितम्बर 2015
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स्वतन्त्रता दिवस या दासों की नई कहानी।15 अगस्त को प्रत्येक वर्ष मूर्ख हिंदू और मुसलमान उसी मानवता के संहार का जश्न मनाते हैं, दोनों को लज्जा भी नहीं आती ।युद्ध भूमि में भारत कभी नहीं हारा, लेकिन अपने ही जयचंदों से हारा है, समझौतों से हारा है । अपनी मूर्खता से हारा है, उन्हीं समझौतों में सत्ता के हस्

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खेचरी मुद्रा द्वारा अमृत पान

17 सितम्बर 2015
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खेचरी मुद्रा एक सरल किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण विधि है ।जब बच्चा माँ के गर्भ में रहता है तो इसी अवस्था में रहता है। इसमें जिह्वा को मोडकर तालू के ऊपरी हिस्से से सटाना होता है । निरंतर अभ्यास करते रहने से जिह्वा जब लम्बी हो जाती है । तब उसे नासिका रंध्रों में प्रवेश कराया जा सकता है । तब कपाल मार्ग एवं

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मानव शरीर के पांच तत्त्व

17 सितम्बर 2015
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नाड़ी शास्त्र के अनुसार, मानव शरीर में स्थित चक्र, जिनमें मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपूरक चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र एवं सहस्त्रार चक्र विद्यमान है। इन चक्रों का संबंध वास्तु विषय के जल-तत्व, अग्नि-तत्व, वायु-तत्व, पृथ्वी-तत्व एवं आकाश-तत्व से संबंधित है। वास्तु में पृथक दिशा

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मंत्र शक्ति

17 सितम्बर 2015
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जिसके मनन करने से रक्षा होती है वह मंत्र है. मंत्र शब्दात्मक होते हैं. मंत्र सात्त्विक, शुद्ध और आलोकिक होते हैं. यह अन्तःआवरण हटाकर बुद्धि और मन को निर्मल करतें हैं.मन्त्रों द्वारा शक्ति का संचार होता है और उर्जा उत्पन्न होती है. आधुनिक विज्ञान भी मंत्रों की शक्ति को अनेक प्रयोगों से सिद्ध कर चुके

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योग की सिद्धियां

17 सितम्बर 2015
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योग के सिद्धियों को फलित करके सर्ष्टि संचालन के सिधान्तों को जाना व प्रयोग किया जा सकता है किन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि किस योग से क्या घटित होता है इसी विषय पर संक्षिप्त लेख प्रस्तुत किया जा रहा है सभी योग के सिद्धि को प्राप्त करने की प्रक्रिया अलग-अलग है अतः प्रक्रिया पर पुनः विचार किया जायेगा

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शिवलिंग का रहस्य व वास्तविक अर्थ

17 सितम्बर 2015
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शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है।शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात ज

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श्री कृष्ण का जन्म तथा वंश

17 सितम्बर 2015
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श्री कृष्ण जी का जन्म चन्द्रवंश मे हुआ जिसमे ७ वी पीढी मे राजा यदु हुए और राजा यदु की ४९ वी पीढी मे शिरोमणी श्री कृष्ण जी हुए राजा यदु की पीढी मे होने के कारण इनको यदुवंशी बोला गया , श्री कृष्ण जी के वंशज आज भाटी, चुडसमा, जाडेजा , जादौन, जादव और तवणी है जो मुख्यत: गुजरात, राजस्थान , महाराष्ट्र, और ह

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श्री कृष्ण की सोलह कलाओ का रहस्य

17 सितम्बर 2015
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अवतारी शक्तियों की सामर्थ्य को समझने के लिए कलाओं को आधार मानते हैं। कला को अवतारी शक्ति की एक इकाई मानें तो श्रीकृष्ण सोलह कला के अवतार माने गए हैं। भागवत पुराण के अनुसार सोलह कलाओं में अवतार की पूरी सामर्थ्य खिल उठती है।1.श्री-धन संपदाप्रथम कला के रूप में धन संपदा को स्थान दिया गया है। जिस व्यक्ति

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रक्षाबन्धन का कारण तथा विधि

17 सितम्बर 2015
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जब भगवान् वामन अवतार धारण करके महाराज बलि से तीन पग भूमि की याचना करके उनका सर्वस्व हर लिए और महाराज बलि को सुतल लोक भेज दिया |और कहा कि यह लोक सुख सम्पदा से भरपूर होने के कारण स्वर्ग वासियों से भी अभिलषित है-सुतलं स्वर्गिभिः प्रार्थ्यं-भा.पु.-८/२२/३३,मैं बंधू बांधवों के सहित तुम्हारी रक्षा करूँगा

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नागमण‌ि तथा अन्य मणियों का रहस्य

17 सितम्बर 2015
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नागमणि को भगवान शेषनाग धारण करते हैं। भारतीय पौराणिक और लोक कथाओं में नागमणि के किस्से आम लोगों के बीच प्रचलित हैं। नागमणि सिर्फ नागों के पास ही होती है। नाग इसे अपने पास इसलिए रखते हैं ताकि उसकी रोशनी के आसपास इकट्ठे हो गए कीड़े-मकोड़ों को वह खाता रहे। हालांकि इसके अलावा भी नागों द्वारा मणि को रखने

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भारतीय पञ्चाङ्ग

17 सितम्बर 2015
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भरतीय इतिहास तथा सहित्य के ज्ञान के लिये पञ्चाङ्ग की परम्परा जानना आवश्यक है। अतः गत ३२ हजार वर्षों की पञ्चाङ्ग परम्परा दी जाती है। काल के ४ प्रकार, सृष्टि के ९ सर्गों के अनुसर ९ काल-मान, ७ युग तथा उसके अनुसार गत ६२ हजार वर्षों का युग-चक्र है(१) स्वायम्भुव मनु काल-स्वायम्भुव मनु काल में सम्भवतः आज क

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राजपूतों की वंशावली व इतिहास

17 सितम्बर 2015
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"दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण,चार हुतासन सों भये , कुल छत्तिस वंश प्रमाणभौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमानचौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय, दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश. , नाग

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आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार

17 सितम्बर 2015
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आचार्य चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 साल पूर्व हुआ था। वह नालंदा विशवविधालय के महान आचार्य थे। उन्होंने हमें 'चाणक्य नीति' जैसा ग्रन्थ दिया जो आज भी उतना ही प्रामाणिक है जितना उस काल में था। चाणक्य नीति एक 17 अध्यायों का ग्रन्थ है। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के अलावा सैकड़ों ऐसे कथन और कह थे जिन

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सिद्धान्त एवं विचार

17 सितम्बर 2015
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मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर भारत के 11वें राष्ट्रपति भारत रत्न डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार 27/07/2015 को निधन हो गया। तमिलनाडु के रामेश्वरम् में 15 अक्टूबर 1931 को जन्में डॉ. कलाम अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया करते थे।उन्होंने कहा था कि “मैं अपने बचपन के दिन नहीं भूल सकता, मेरे बचपन को

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शिव तांडव स्त्रोतम

17 सितम्बर 2015
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||सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम् ||||श्रीगणेशाय नमः ||जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् |डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१||जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि |धगद् धगद् धगज्ज्वलल् लल

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महाभारत के वीर

17 सितम्बर 2015
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महाभारत की कथा जितनी बड़ी है, उतनी ही रोचक भी है। शास्त्रों में महाभारत को पांचवां वेद भी कहा गया है। इसके रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं। महर्षि वेदव्यास ने इस ग्रंथ के बारे में स्वयं कहा है- यन्नेहास्ति न कुत्रचित्। अर्थात जिस विषय की चर्चा इस ग्रंथ में नहीं है, उसकी चर्चा कहीं भी उपलब्ध

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नागाओ का रहस्य

17 सितम्बर 2015
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कुंभ मेले के कवरेज में आपने कई बार देखा होगा कि नागा बाबा कपड़े नहीं पहनते हैं और पूरे शरीर पर राख लपेटकर घूमते हैं। उन्‍हे किसी की कोई शर्म या हया नहीं होती है वो उसी रूप में मस्‍त रहते हैं।नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं। ये व

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"गायत्री मंत्र" का रहस्य

17 सितम्बर 2015
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गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है।गायत्री मन्त्

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हिंदू धर्म की वैज्ञानिकता

17 सितम्बर 2015
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हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क1- कान छिदवाने की परम्परा-भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।वैज्ञानिक तर्क-दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचा

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