जब भी कोई संत, अवतार, पैगम्बर बात करते हैं, तो वो व्यक्तियों की बात नहीं करते। वो उस स्रोत की बात करते हैं जो भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट होता आया है। उस निर्गुण की ओर इशारा करते हैं जो गुणों को धारण कर समस्त जगत का कल्याण करता आया है। इसी संदर्भ में आचार्य प्रशांत संग श्री कृष्ण पर हुए संवादों का संगठन इस किताब में एकत्रित किया गया है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक व श्री कृष्ण के जीवन के उदाहरणों से हमारी जटिल जिज्ञासाओं का सरल व सीधा समाधान दिया है।
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