एक जन्म में दो दो माँ और बाबा भी दो पाये ।
चाल किया चाली कहलाये, समवय सखा न पाये।।
अद्भुत ज्ञान प्रभाषित श्रीमुख, पार्थ सारथी उन्नायक।
धर्म अधर्म का न्याय किया, प्रबल युद्ध अधिनायक। ।
बाल बुद्धि के करतब क्या क्या हो सकते दिखलाया।
घन-घमंड का मर्दन करके, धर्म मार्ग बतलाया।।
जन्म जेल में हुआ अनोखा, न्यायाधीश जीवन भर।
गौ पालक, आडंबर त्यागे, प्रेम -नीर के सागर।।
जन्म पर्व पर "राघव" का मन, रुचित शुचित कर देना।
मानव अब पथभ्रष्ट हो चला, पथ प्रशस्त कर देना।।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म महापर्व पर आप सबके सुमंगल जीवन की मृदुल कामनाओं सहित
🙏🙏राघवेन्द्र सिंह 🙏🙏