एक साधारण सा हिन्दी प्रेमी। पेशे से शिक्षक । इंसान बनने की चाहत रखता हूँ। नहीं बनता पर लिखने की धृष्टता करता रहता हूँ।
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एक जन्म में दो दो माँ और बाबा भी दो पाये ।चाल किया चाली कहलाये, समवय सखा न पाये।।अद्भुत ज्ञान प्रभाषित श्रीमुख, पार्थ सारथी उन्नायक।धर्म अधर्म का न्याय किया, प्रबल युद्ध अधिनायक। ।बाल बुद्धि के करतब क्या क्या हो सकते दिखलाया।घन-घमंड का मर्दन करके, धर्म मार्ग बतलाया।।जन्म जेल में हुआ अनोखा, न्यायाधी
स्वयं प्रकाशित, ज्ञान उद्भासित, राष्ट्र के नव निर्माता।शारद् वरद् हस्त अवगाहक, प्रज्ञा प्रखर प्रदाता।।चरण सुधा, जीवन ज्योति शुभ, नमन करहु गुरुवर श्री।मम जीवन चिर ऋणि आपका, कृपा करहु गुरुवर श्री।।शिक्षक दिवस पर परम् सम्मानीय गुरुजनों का चरण वंदन ।🙏🙏राघवेन्द्र सिंह 🙏🙏