ऐ ! मेरे मधुमेह !तुमने दी मेरी ज़िन्दगी बदल, खाने, पीने और रहने में जब दी तुमने दख़ल । मैं जी रही थी बेख़बर ,स्वास्थ्य की थी न कदर। जब तुमने ताकीद दी, शुरू अपनी परवाह की ।जीने का आया कुछ सलीका, अपनाया योग का भी तरीका। अब खुद को भी देती समय, जीवन में संतुलन का लय। मुझ पर है अपनों की नज़र, हर पल की लेते वे ख़बर। यह सब तेरा ही है असर! रिश्तों में अपनापन बढ़ गया, जीवन में नवरंग भर गया। ज़िन्दगी के प्रति बदला नज़रिया, मधुमेह तुमको मेरा