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जिसे निभा लिया वो ज़िंदगी का हिस्सा थाजो निभ सका नहीं वो ही तो मेरा अपना थान एक इंच हाथ में वो आ सका मेरेयूँ आसमान बहुत दूरियों में फैला थामैं सारी उम्र की बरसात लिए बैठी थीन पा सकी जिसे वो आब का इक क