साइलेंट किलर( सस्पेंस स्टोरी)
पात्र_शारदा _पत्नी
रवि_ पति
विजय_पिता
मीरा_मां
भोली_नौकरानी
राणो_नौकरानी
खुशी,नमन शारदा की बेटियां
पहला भाग
घर में दिवाली की सफाई चल रही है ,शारदा सुबह उठी दोनों बेटियों को उठाया और जल्दी से बोली खुशी नमन जल्दी से उठो, तुम्हें पता नहीं कल दिवाली है ,बाजार से बहुत सा सामान लाना है ,जल्दी करो जल्दी राणो आती ही होगी ।जल्दी से हम सफाई करवा कर बाजार की ओर चलते हैं तभी फोन की घंटी बजती है ।शारदा फोन उठाती है ,हेलो कौन ?राणो फोन पर होती है और कहती है बीवीजी मैं आज सफाई करने नहीं आऊंगी ।शारदा तुम्हारा दिमाग खराब है त्यौहार का दिन है घर में इतना काम है और तुम कह रही हो, कि मैं सफाई करने नहीं आऊंगी ।जल्दी से आओ ज्यादा नहीं तो पौचा तो लगा ही जाना ,जल्दी से आकर पौचा लगा कर जाओ शारदा ने गुस्से में कहा। 5 मिनट बाद घंटी बजती है, राणो आती है आते ही राणो ने झाड़ उठाई और झाड़ू लगाने लगी कुछ नहीं बोली। शारदा ने कहा ,क्या बात राणो आज नमस्ते राम-राम कुछ नहीं ,क्या तुम इतनी बड़ी हो गई हो कि मैंने तुम्हें डांटा और तुम मुझे राम-राम करना भी भूल गई हो। राणो ने कहा नहीं बीबी जी ऐसी बात नहीं है, ऐसे कहते-कहते राणो की आंखों से आंसू निकलने आए ।शारदा ने कहा ,क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो, राणो। कुछ नहीं बीबी जी हमने मेरी ननद के ससुराल जाना था इसलिए आपको कहा था ,कि आज मैं नहीं आऊंगी क्यों क्या हुआ अचानक ऐसे कैसे प्रोग्राम बन गया। बीबी जी मेरी ननंद के हसबैंड की डेथ हो गई।
,क्या???? शारदा एकदम अवाक रह गई ,तुमने मुझे बताया तो नहीं बीबी जी क्या बताती , आपने मुझे बोलने का मौका ही नहीं दिया, जब मेरी सास को पता लगा तो उसने कहा कि जाओ जल्दी से पौचा लगा कर आ जाओ हम थोड़ी देर रुकते हैं ।शारदा ने पश्चाताप किया और राणो के हाथों से झाड़ू छीन ली ।अरे पागल हो गई हो क्या तुम, यदि तुमने मुझे बता दिया होता तो मैं तुम्हें क्यों बुलाती जाओ जाओ तुम जल्दी जाओ और अपनी ननंद को संभालो जाकर। राणो नहीं बीबी जी मैं पौचा तो लगा ही जाती हूं, अरे रहने दो पौचा हम अपने आप लगा देंगे मेरी बेटियां मेरे को काम करा देंगी तुम जाओ अपनी ननंद को संभालो।ऐसे मौके पर लेट नहीं करते होते कोई बात नहीं बीवी जी संस्कार तो 12:00 बजे है और अभी तो 10:00 बजे हैं हम 11:00 बजे यहां से निकलेंगे तब भी 12:00 बजे पहुंच जाएंगे ।शारदा ने जोर से कहा अब तुम ज्यादा नहीं बोलो जल्दी से झाड़ू छोड़ो और अपनी ननंद को संभालो समझी और मैंने डांट दिया तो उसके लिए बुरा मानने की जरूरत नहीं है, तुम मेरी बेटी की तरह हो जाओ जल्दी से अपनी नंद को संभालो, यदि तुमने मुझे बता दिया होता तो शायद मैं तुम्हें डांट ना लगाती ।यह तो त्यौहार का दिन था तब तुम्हें कह दिया चलो कोई बात नहीं तुम आराम से अपनी ननंद को संभालो और मुझे जाते ही फोन करना। और हां जाते ही फोन नहीं करना जब संस्कार हो जाए थोड़ी सेटिंग हो जाए उसके बाद ही फोन करना ठीक है ,और यह लो ₹500 हो सकता है तुम्हें जरूरत पड़ जाए ।नहीं बीबी जी, रहने दीजिए ।
नहीं क्या मैंने बोला ना लो, और ज्यादा पैसों की जरूरत हो तो बता देना, ठीक है इतना कहकर राणो को घर से भेज दिया ,और एक कोने में जाकर बैठ गई ।
शारदा की आंखों में आंसू थे, खुशी ने आकर कहा मां तुम रो क्यों रही हो ।शारदा ने कहा कितना मजबूर है इंसान और कितना क्रूर है इंसान आज मैंने कितनी क्रूरता से, राणो को कह दिया कि सफाई करने तो आ जाओ और वह मजबूरी के कारण सफाई करने भी आ गई। मुझे क्या पता था ,कि ऐसा हुआ ।खुशी ने कहा तो क्या हुआ मम्मी क्या आपको क्या पता था ,कि ऐसा हुआ है,आपको पता नहीं था ना, तो आप चुप हो जाइए कोई बात नहीं भगवान उनके परिवार को दुख सहन करने की शक्ति देगा। हां मैं भी यही चाहती हूं ,मैंने तो पूछा भी नहीं कि उसकी ननंद की उम्र कितनी है ,कितने बच्चे हैं ,और उसका क्या होगा ।चलो कोई बात नहीं दो-चार दिन में राणो आ जाएगी तब बात करते हैं। हे भगवान हे ईश्वर परिवार को दुख सहन करने की शक्ति देना और जो मेरे से भूल से भूल हुई है उसके लिए मुझे क्षमा करना, इतना कहकर शारदा ने झाड़ू पौचा उठाया और दोनों बेटियों को बुलाया और तीनों सफाई करने लग गई ,और फिर खो गए त्योहार को मनाने की खुशी में
बाकि अगले पार्ट में___