अन्तर्हित :
1- अदृश्य
2- उच्छन्न
3- विलीन
4- तिरोहित
5- ग़ायब
प्रयोग : भगवत्स्वरूप ग्रंथरत्न सदैव के लिए इस असार संसार से अन्तर्हित हो गया I
20 नवम्बर 2015
अन्तर्हित :
1- अदृश्य
2- उच्छन्न
3- विलीन
4- तिरोहित
5- ग़ायब
प्रयोग : भगवत्स्वरूप ग्रंथरत्न सदैव के लिए इस असार संसार से अन्तर्हित हो गया I
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D