अम्बुज :
1- कमल
2- पंकज
3- नीरज
4- सरोज
5- इन्दीवर
प्रयोग :
सुनत विभीषनु प्रभु कै बानी I
नहिं अघात श्रवनामृत जानी II
पद अंबुज गहि बारहिं बारा I
हृदयँ समात न प्रेमु अपारा II
(श्रीरामचरितमानस)
10 दिसम्बर 2015
अम्बुज :
1- कमल
2- पंकज
3- नीरज
4- सरोज
5- इन्दीवर
प्रयोग :
सुनत विभीषनु प्रभु कै बानी I
नहिं अघात श्रवनामृत जानी II
पद अंबुज गहि बारहिं बारा I
हृदयँ समात न प्रेमु अपारा II
(श्रीरामचरितमानस)
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D