18 अप्रैल 2016
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
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दग्ध : 1-आहत 2-घायल 3-झुलसा/ जला हुआ 4-अक्षेम 5-अशुभ प्रयोग : दग्ध मन में जब तुम्हारी याद हीबाक़ी न कोई,फिर कहाँ से मैं करूँ आरम्भ यह व्यापारप्रेयसि !अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रेयसि !—गोपालदास नीरज
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शल्लिका :<!--[if !supportLists]-->1- <!--[endif]-->नाव <!--[if !supportLists]-->2- <!--[endif]-->वहल <!--[if !supportLists]-->3- <!--[endif]-->तरनी <!--[if !supportLists]-->4- <!--[endif]-->नैया <!--[if !supportLists]-->5- <!--[endif]-->क़िश्ती प्रयोग : जब पतवार प्रभु केहाथों में
'अर्घ' और 'अर्घ्य' १- 'अर्घ' का अर्थ है 'मूल्य' जैसे : अब तो वस्तुओं के अर्घ बहुत बढ़ गए हैं . २- 'अर्घ्य' का अर्थ है 'पूजन सामग्री' जैसे : बहुत से लोग अपने दिन का आरम्भ सूर्यदेव को अर्घ्य देकर करते हैं .
वैविध्य : १- विविधता, २- अनेकता, ३- विभिन्नता, ४- अनेकत्व, ५- वैभिन्यप्रयोग : भारतीय संस्कृति में कितना वैविध्य है फिर भी अप्रतिम एकता I
विज्ञ : १- प्रबुद्ध, २- कोविद, विद्वत् , ३- वेत्ता, बुद्ध, भिज्ञ, ४- अभिजात, विज्ञ, अभिज्ञ, ५- सुप्रकेत, युक्तार्थ, विशारद, प्रयोग : पं० महामना मदनमोहन मालवीय अत्यंत विज्ञ पुरुष थे ।
अंशुमान :1- आदित्य2- सविता 3- मिहिर 4- पुष्कर 5- सूर्य प्रयोग : मनुष्य की प्रतिभा अंशुमान के सदृश होती है जिसे तिमिर भी नहीं दबा सकता I
अक्षुण्ण :1- अक्षय 2- शाश्वत 3- नित्य 4- अविगत 5- अमर प्रयोग : शरीर नश्वर है और आत्मा अक्षुण्ण I
पल्लव :१- कोंपल २- किसलय ३- मंजरी ४- प्रवाल ५- नयी पत्ती प्रयोग :अनुकरण हमारे शब्दों का अस्फुट, लो, पल्लव दल करते, साँसों से सांसें मिलनी थीं खुलकर, खिलकर कलियाँ महकीं I (मिलन यामिनी से)
उत्कट:१-तीव्र २-उग्र ३-बढ़ी-चढ़ीप्रयोग :जीने की उत्कट इच्छा में था मैंने, 'आ मौत पुकारा Iवरना मुझको मिल सकता था मरने का सौ बार बहाना I(मिलन यामिनी से)
किसलय: १- कोंपल २- मंजरी ३- प्रवाल ४- किशल ५- पल्लव प्रयोग : वृक्षों पर सुनहरे कोमल किसलय कितने सुन्दर प्रतीत होते हैं !
अरित्र :१- सुक्कान२- किलवारी३- चप्पू ४- खेवा ५- पतवार प्रयोग : नाव और अरित्र ही तो माँझी के हाथ-पाँव होते हैं।
मनीषी : 1- विचारक 2- चिन्तक प्रयोग : इतनी गूढ़ बात तो कोई मनीषी ही बता सकता है।
अन्तर्गति : 1- मनोभाव 2- मनोवेग 3- अंतर्वेग 4- चित्तवृत्ति 5- जज़्बात प्रयोग: हृदयविदारक दृश्यों को देखकर वह अपनी अंतर्गति पर नियंत्रण न रख सका I