तापस :
1- तपस्वी
2- त्यागी
3- श्रांत
प्रयोग :
सुनत सभय मन मुख मुसुकाई I
कहत दसानन सबहि सुनाई II
भूमि परा कर गहत अकासा I
लघु तापस कर बाग बिलासा II
(श्रीरामचरितमानस)
4 दिसम्बर 2015
तापस :
1- तपस्वी
2- त्यागी
3- श्रांत
प्रयोग :
सुनत सभय मन मुख मुसुकाई I
कहत दसानन सबहि सुनाई II
भूमि परा कर गहत अकासा I
लघु तापस कर बाग बिलासा II
(श्रीरामचरितमानस)
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D