दग्ध :
1-आहत
2-घायल
3-झुलसा/ जला हुआ
4-अक्षेम
5-अशुभ
प्रयोग :
दग्ध मन में जब तुम्हारी याद ही
बाक़ी न कोई,
फिर कहाँ से मैं करूँ आरम्भ यह व्यापार
प्रेयसि !
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रेयसि !
—गोपालदास नीरज
9 दिसम्बर 2015
दग्ध :
1-आहत
2-घायल
3-झुलसा/ जला हुआ
4-अक्षेम
5-अशुभ
प्रयोग :
दग्ध मन में जब तुम्हारी याद ही
बाक़ी न कोई,
फिर कहाँ से मैं करूँ आरम्भ यह व्यापार
प्रेयसि !
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रेयसि !
—गोपालदास नीरज
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D