भारत में हर रोज़ लाखों लोग ट्रेन से सफ़र करते हैं. उन्हें अपनी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए रेल विभाग लगभग 13000 ट्रेनों का संचालन करता है. स्लीपर और जनरल डिब्बों में सफ़र करने वाले यात्रियों की संख्या अधिक होती है. आपने भी कभी न कभी इन दोनों ही श्रेणियों में सफ़र ज़रूर किया होगा. इन कोच में एक बात सामान्य होती है, वो है इनके गेट के पास वाली खिड़की.
दरवाज़े के पास वाली इस खिड़की में बहुत से बार यानी सरिया लगे होते हैं, जबकि अन्य खिड़कियों में उसकी तुलना बहुत कम सरिया लगी होती हैं और गैप भी अधिक होता है. रेलगाड़ी से सफ़र करने वालो लोगों ने ये बात ज़रूर नोटिस की होगी. पर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
इसके पीछे भी एक तगड़ा लॉजिक है. बिना लॉजिक रेल विभाग कुछ नहीं करता. दरअसल, दरवाज़े के पास वाली खिड़कियों में ज़्यादा सरिया इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि चोरी की वारदात को रोका जा सके.
ये खिड़कियां दरावज़े के पास होती हैं, तो चलती ट्रेन से चोर अकसर इनमें हाथ डालकर यात्रियों का सामान चुरा लेते थे. इन खिड़कियों तक दरवाज़े के पायदान से भी पहुंचा जा सकता है. वहां से भी चोर सामान आसानी से चुरा सकते हैं. रात के समय जब सभी यात्री सो रहे होते हैं, तब कोई भी खिड़की के ज़रिये उनका सामान उठा सकता है.
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए इन खिड़कियों में ज़्यादा सरिये लगाए जाते हैं. अब तो दरवाज़ों की खिड़कियों में भी अधिक बार लगाए जाने लगे हैं. ताकि रात में आउटर में गाड़ी रुकने के दौरान चोर खिड़की से हाथ डालकर दरवाज़ा न खोल पाएं.