shabd-logo

सोमेश कुमार के बारे में

अवकाश प्राप्त (भारत सरकार सेवा) ।

Other Language Profiles
no-certificate
अभी तक कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है|

सोमेश कुमार की पुस्तकें

विस्मृत यादें

विस्मृत यादें

शेष विश्व से अलग एक द्वीप जैसे गाँव में मेरा जन्म हुआ था जहाँ से शहर आना जाना अत्यंत ही कठिन था। वर्षा ऋतु में तो यह असंभव ही हो जाता था। लोगों के कन्धों पर डोली पर बैठ ही संभव हो पाता था। घोड़ा, बैलगाड़ी अथवा पैदल ही चार कोस अर्थात लगभग तेरह किलोमीटर

14 पाठक
27 रचनाएँ
2 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 23/-

विस्मृत यादें

विस्मृत यादें

शेष विश्व से अलग एक द्वीप जैसे गाँव में मेरा जन्म हुआ था जहाँ से शहर आना जाना अत्यंत ही कठिन था। वर्षा ऋतु में तो यह असंभव ही हो जाता था। लोगों के कन्धों पर डोली पर बैठ ही संभव हो पाता था। घोड़ा, बैलगाड़ी अथवा पैदल ही चार कोस अर्थात लगभग तेरह किलोमीटर

14 पाठक
27 रचनाएँ
2 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 23/-

सोमेश कुमार के लेख

शिक्षा से सम्मान ।

1 सितम्बर 2024
0
0

इसी वर्ष हम लोगों ने अपने नए घर में आ जाने का भी निश्चय किया। यह पूरी तौर पर निर्मित था ही। यद्यपि मन निश्चय नहीं कर पा रहा था लेकिन बुद्धि ने यह निर्णय ले ही लिया। शिवेंद्र और नेहा के न होने के कारण

अवकाश एवं कोरोना कहर ।

1 सितम्बर 2024
0
0

मेरी सर्विस सुचारु रूप से पूर्ववत चल रही थी। जब प्रथम बार सुल्तानपुर से अलग कर अमेठी को छत्रपति साहूजी महाराज नगर बनाया गया था तभी वहाँ के मूल निवासी महामहिम भरत जगदेव जी, राष्ट्रपति कोआपरेटिव रिपब्लि

सोने की अँगूठी ।

1 सितम्बर 2024
0
0

मुझे अपने माँ बाप, विशेष रूप से पापा जी की, बहुत बातें जिन्हें व्यंग्य और आलोचना की श्रेणी में रखा जा सकता है, अन्य भाई या बहन की तुलना में अधिक सुननी व सहनी पड़ीं। इसका कारण यह था कि मुझे इनके साथ अधि

दर्शन उपरांत चक्रवात ।

1 सितम्बर 2024
0
0

पापा जी के देहान्त के उपरान्त कुछ दिन मम्मी जी फैज़ाबाद में रुक कर फिर देवेंद्र प्रकाश जी के साथ बाराबंकी चली गयी थीं। यह पहले से ही पता था कि वो वहीं जाएँगी। वहाँ इनकी पुत्रवधू, नीता जी, उनके पति और ब

चार पेड़ ।

1 सितम्बर 2024
0
0

गर्मी की छुट्टियाँ आम के लिए अधिक याद की जाती है। जो लोग गाँव से जुड़े होते हैं वो प्रायः अपना परिवार बच्चों के ग्रीष्मावकाश के दौरान गाँव पहुँचा देते हैं। बचपन में यही मेरे साथ भी था। मुझे याद है कि आ

वियोग और प्रवंचना ।

1 सितम्बर 2024
0
0

दो हजार चार में पापा जी को एक बार फिर आयु, अवस्था से सम्बंधित समस्या का सामना करना पड़ा था। जब इनके कूल्हे की शल्य क्रिया की गयी थी तभी से इनको यूरीन पास करने की समस्या हो रही थी इन्होने उस दौरान जब कै

दुर्घटना ।

1 सितम्बर 2024
0
0

जब हम लोग जगन्नाथ पुरी से वापस लौटने के लिए स्टेशन पर आए तो इन लोगों को निर्धारित स्थान पर डिब्बे में बिठाकर मैंने सोचा कि फैज़ाबाद अवगत करा दूँ कि मैं वापस लौट रहा हूँ। एक तथ्य यह कि सूचनाएँ मैं ही दे

प्रभु जगन्नाथ ।

1 सितम्बर 2024
0
0

मैं कभी किसी को अपना परिचय नहीं देता था। डॉक्टर शर्मा जी ने कहा भी था कि यदि आप किसी को अपना परिचय नहीं देंगे तो आपको वरीयता कैसे मिलेगी। डॉक्टर सुबोध जी से परिचय तब हुआ था जब मैं डॉक्टर रवि प्रताप जी

पारिवारिक वैमत्य एवं शमन ।

1 सितम्बर 2024
0
0

सुलतानपुर टेलीफोन एक्सचेंज मार्ग पर एक मेडिकल स्टोर था। किसी सिंह जी का था यद्यपि वो बहुत कम ही वहाँ आते थे। उनसे मेरा विचार विमर्श दो तीन बार हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की

पैतृक संपत्ति एवं स्वप्न ।

1 सितम्बर 2024
0
0

उन्नीस सौ अट्ठानबे की बात है। एक रात देवेंद्र की पत्नी या नीता जी का फ़ोन आया। उस समय मेरे और कंधारी बाजार दोनों स्थानों पर लैंडलाइन फ़ोन लग चुका था। फ़ोन का होना विशेष जाना जाता था क्योंकि कनेक्शन आसानी

किताब पढ़िए