16 जनवरी 2021
सुलगते आग को मै इश्क़ बता देता हूँइस तरह लफ्ज़ों का मै जाल बना देता हूँजो मेरे इश्क में पतंगों से जल गये यारोंउन्ही को आज से आशिक करार देता हूँ ©®डॉ नरेन्द्र कुमार पटेल