shabd-logo

सूर्योपसना का महापर्व है मकर संक्रांति

12 जनवरी 2022

28 बार देखा गया 28
article-image

हमारे भारतवर्ष में मकर संक्रांति, पोंगल, माघी उत्तरायण आदि नामों से भी जाना जाता है। वस्तुतः यह त्यौहार सूर्यदेव की आराधना का ही एक भाग है। यूनान व रोम जैसी अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी सूर्य और उसकी रश्मियों को भगवान अपोलो और उनके रथ के स्वरूप की परिकल्पना की गई है। अपोलो मतलब ऊष्मा, प्रकाश तथा स्वास्थ्य व उपचार के देवता। अर्थात् जब से मानव में समझ का विकास हुआ, तब से ही उसे यह भी स्पष्ट आभास हो गया कि सूर्य इस धरती के नियंताओं में सर्वोपरि है। सूर्य का उत्तरायण होना एक खगोलीय घटना भर नहीं है। संक्रांति पर पर्व और उल्लास की परम्परा शायद मानव जाति की ओर से सूर्यदेव को धन्यवाद ज्ञापन है अथवा शायद हर नई पीढ़ी को हमारे पुरखों की नैसर्गिक विद्वता में लिपटा संदेश है, जिसे उन्होंने गहन अनुभव शोधन से समझा था।

मकर संक्रांति आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है। इसी दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है। इसी दिन उत्तरायण शुरू होता है, अभी तक दक्षिणायण रहता है। खगोलीय दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण दिन है। पुराणों में कहा गया है कि दक्षिणायण देवताओं की रात और उत्तरायण देवों के लिए दिन माना जाता है। यह दिन दान, पूजा-हवन, यज्ञ करने के लिए सर्वाधिक श्रेष्ठ है। मकर संक्रांति से सम्बंधित कई कथाएं है- एक समय दुर्वासा ऋषि कौरव-पांडव के गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में समिधा की खोज में पहुंचे। उस समय उनकी पत्नी कृपी आश्रम में थी। कृपी ने ऋषि से निवेदन किया कि संतान प्राप्ति का कोई उपाय बताएं।दुर्वासा ने कहा कि वह मकर संक्रांति को स्नान कर सूर्य की उपासना करें। कृपी ने ऐसा ही किया तो उन्हें अश्वथामा जैसा प्रतापी पुत्र प्राप्त हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार यशोदा ने जब कृष्ण जन्म का व्रत लिया तो सूर्य की गति उत्तरायण में आरम्भ हुयी थी और उस दिन मकर संक्रांति थी।भीष्म पितामह ने उत्तराणी सूर्य होने के कारण इसी दिन प्राण त्यागे। पितरों के लिए 16 दिन तर्पण करने से जो शास्त्रोक्त फल प्राप्त होता है उतना पुण्य मकर संक्रांति के दिन तर्पण करने से मिलता है।

इस माह कहीं पूर्णिमा से माह की शुरुआत होती है तो कहीं मकर संक्रांति से होती है। मकर राशि में सूरज जिस दिन प्रवेश करता है, उसे सौरमान कहते हैं। यह दिन अच्छा पुण्यकाल माना जाता है इसलिए किसी नदी में आह्वान करके स्नान करने का विधान है। पद्मपुराण में उल्लेख है कि भगवान विष्णु ने इस दिन असुरों का वध करके, नाश करके भूमि पर शांति स्थापित की थी। अधर्म का नाश हुआ और धर्म की प्रतिष्ठा हुई इसलिए इसे मुख्य पर्व माना गया। मकर संक्रांति पर सूरज की पूजा, अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और नदी स्नान करना चाहिए। नई फसल का दान करना चाहिए। अन्य पर्वों का उद्देश्य होता है कि खा-पीकर खुश हो जाना, जबकि मकर संक्रांति पर दान करके आनन्द प्राप्त किया जाता है। स्मृतियों में कहा गया है कि जो आप कमाई करते हैं, उसका दो फीसदी धर्म कार्यों के लिए खर्च करना चाहिए, जो पूरे साल राशि संचित की है, उसको मकर संक्रांति पर खर्च करना चाहिए। अर्थात् 12 माह में जुटाई गई 24 फीसदी कमाई का दान करना चाहिए। इससे दान पाने वाले गरीब का जीवन सुधरता है। धनी लोगों का पैसा निचले तबके के लोगों के पास जाता है जिससे उनके धन में भी वृद्धि होती है। इस दिन तेल से स्नान करना, तिल का दान करना, तिल से होम करना, तिल को जल में मिलाकर तर्पण करना, तिल को खाना और खिलाना श्रेयस्कर माना गया है। श्राद्ध के दौरान तो तिल में होम करते हैं, तर्पण नहीं करते हैं। इसलिए यह पर्व खास है। पूर्वजों के लिए यह पर्व अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। तिल का उपयोग सभी पापों से मुक्त कराता है। मकर संक्रांति जैसे पर्वों के बारे में नई पीढ़ी को संस्कारित किया जाना चाहिए। इसके लिए सामूहिक आयोजन कर उन्हें इसके महत्व की जानकारी देनी चाहिए। पूर्व में हर गांव, शहर, नगर में ऐसे आयोजन होते थे, अब नहीं होते हैं इसलिए ऐसे पर्वों के संस्कार पीछे छूट गए हैं।

अथर्ववेद की ऋचा कहते है-  आभारिषं विश्वभेषजीमस्यादृष्टान् नि शमयत्।  अर्थात्, सूर्य किरणें सर्वरोगनाशक हैं। वे रोगकृमियों को नष्ट करें। इस विषय पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी अपनी रिपोर्ट के अनुसार सूर्य की रोशनी में पाए जाने वाले अल्ट्रा वाॅयलेट विकिरण की अधिकता से होने वाले नुकसान की अपेक्षा सूर्य प्रकाश की कमी से होने वाली समस्याओं का बोझ कहीं ज्यादा है। विटामिन-डी लगभग एक हजार जीन के सही संचालन में मददगार है, वो जीन जो मुख्यतः कैल्शियम मेटाबाॅलिज्म, न्यूरोमस्कुलर तंत्र तथा प्रतिरक्षा तंत्र के लिए आवश्यक है। यह विटामिन हमारी त्वचा में सूर्य प्रकाश की मदद से ही बनता है, जिसमें कपड़े, तन की अतिरिक्त चर्बी और त्वचा का मेलैनिन पिगमेंट बाधा डालते हैं। कैल्शियम मेटाबाॅलिज्म पर विटामिन-डी की कमी का असर है हड्डियों का कमजोर होना और कमजोर हड्डी हर घड़ी के दर्द और टीस से लेकर स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान विभिन्न जटिलताओं का कारण बनती है। आजकल बहुत से वैज्ञानिक शोधों के उपरांत विटामिन-डी का उपयोगी किरदार समझ में आ रहा है। मेलाटोनिन, सेरोटोनिन जैसे जैव-रसायनों का बहुत गहन संबंध मानसिक स्वास्थ्य से भी है। विभिन्न अनुसंधानों में पाया गया है कि सूर्य की रोशनी का अभाव तनाव (डिप्रेशन) की समस्या को जन्म देता है। यह तो सर्वविदित है कि सूर्य की ऊर्जा मनुष्य के लिए हानिकारक लगभग सभी बैक्टीरिया, वायरस तथा फफूंद का नाश करती हैं। इसी वैज्ञानिक तथ्य के परिणामस्वरूप हमारे घरों में सदियों से सामान को धूप दिखाकर शुद्ध करने की परम्परा आज भी कायम है।

सभी  साथियों और सुधि पाठकों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया लिखा

17 जनवरी 2022

Astha Singhal

Astha Singhal

बढ़िया लेख

14 जनवरी 2022

ओंकार नाथ त्रिपाठी

ओंकार नाथ त्रिपाठी

अच्छा लगा पढ़कर।

12 जनवरी 2022

30
रचनाएँ
घर से बाहर एक घर
5.0
यह पुस्‍तक मेरा घर से बाहर एक सपनों का घर है
1

बचपन के स्वत्रंत्रता दिवस का वह एक दिन

13 अगस्त 2016
6
2
1
2

सामाजिक एकाकार का पर्व है गणेशोत्सव

2 सितम्बर 2016
3
1
1

हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है। त्यौहार, पर्व और उत्सव हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है, जिसमें जनमानस घोर विषम परिस्थितियों में

3

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

14 सितम्बर 2016
1
0
0

4

दीपावली का आरोग्य चिन्तन

21 अक्टूबर 2016
1
1
0

दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से अधिक उजियारी होकर 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' को साकार कर बैठती है। य

5

कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन

31 दिसम्बर 2016
1
2
0

6

गुलाबों के खूबसूरत दरबार की कुछ गुलाबी स्मृतियां

5 जनवरी 2017
2
1
1

7

लोकरंग में झलकता मेरे शहर का वसंत

1 फरवरी 2017
2
2
0

पहले २६ जनवरी यानी गणतंत्र दिवस का दिन करीब आता तो मन राजधानी दिल्ली के 'इंडिया गेट' के इर्द-गिर्द मंडराने लगता था। तब घरतंत्र से दो चार नहीं हुए थे। बेफिक्री से घूम-फिरने में एक अलग ही आनंद था। गणतंत्र दिवस की गहमागहमी देखने इंडिया गेट

8

भोपाल उत्सव मेला

8 फरवरी 2017
2
1
0

भोपाल स्थित नार्थ टी.टी.नगर में न्यू मार्केट के पास एक विशाल मैदान है, जिसे दशहरा मैदान के नाम से जाना जाता है। इस मैदान में दशहरा के दिन हजारों की संख्या में शहरवासी एकत्रित होकर रावण के साथ कुम्भकरण और मेघनाथ का पुतला दहन कर दशहरा मनाते हैं। यहाँ हर वर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह से फरवरी के

9

एक अभियान नारी आधारित गालियों के विरुद्ध भी चले

8 मार्च 2017
3
1
0

10

रामजन्मोत्सव

4 अप्रैल 2017
2
1
1

जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब- नवमी तिथि मधुमास पुनीता सुक्ल पक्ष अभिजित हरि प्रीता। मध्यदिवस अति सीत न घामा

11

दलित वर्ग के प्रतिनिधि और पुरोधा थे डाॅ. भीमराव रामजी अंबेडकर

13 अप्रैल 2017
1
3
1

डाॅ. भीमराव आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के अम्बावड़े गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीरामजी सकवाल तथा माता का नाम भीमाबाई था। उनके "आम्बेडकर" नाम के म

12

मज़बूरी के हाथ

1 मई 2017
1
2
1

यों रविवार छुट्टी और आराम का दिन होता है, लेकिन अगर पूछा जाय तो मेरे लिए यह सबसे ज्यादा थकाऊ और पकाऊ दिन होता है। दिन भर बंधुवा मजदूर की तरह चुपचाप हफ्ते भर के घर भर के इकट्टा हुए लत्ते-कपडे, बच्चों के खाने-पीने की फरमाईश पूरी करते-करते कब दिन ढल गया पता नहीं चलता। अभी रविवार के दिन भी जब द

13

भाई-बहिन का स्नेहिल बंधन है रक्षाबंधन

5 अगस्त 2017
0
1
0

14

भगवती दुर्गा संगठित शक्ति प्रतीक हैं

21 सितम्बर 2017
1
3
2

मानव की प्रकृति हमेशा शक्ति की साधना ही रही है। महाशक्ति ही सर्व रूप प्रकृति की आधारभूत होने से महाकारक है, महाधीश्वरीय है, यही सृजन-संहार कारिणी नारायणी शक्ति है और यही प्रकृति के विस्तार के समय भर्ता तथा भोक्ता होती है। यही दस महाविद्या और नौ देवी हैं। यही मातृ-शक्ति, चाहे वह दुर्गा हो या

15

दीपावली का त्यौहार प्रेमभाव का सन्देश

17 अक्टूबर 2017
1
2
1

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक मनाया जाने वाला पांच दिवसीय सुख, समृद्धि का खुशियों भरा दीपपर्व ’तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् 'अंधेरे से प्रकाश की ओर चलो' का संदेश लेकर आता है। अंधकार पर प्रकाश का विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेमभाव का संदेश फैल

16

48 स्वादिष्ट व्यंजनों का थाल है निवेदिता का कविता संग्रह 'ख्याल'

2 जनवरी 2018
1
1
1

'ख्याल' कविता संग्रह नाम से मेरी सहपाठी निवेदिता ने खूबसूरत ख्यालों का ताना-बना बुना है। भोपाल स्थित स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में ‘ख्याल’ का लोकार्पण हुआ तो कविताओं को सुन-पढ़कर लगा जैसे मुझे अचानक मेरे ख्यालों का भूला

17

सरकारी आयोजन मात्र नहीं हैं राष्ट्रीय त्यौहार

25 जनवरी 2018
1
2
0

राष्ट्रीय त्यौहारों में गणतंत्र दिवस का विशेष महत्व है। यह दिवस हमारा अत्यन्त लोकप्रिय राष्ट्रीय पर्व है, जो प्रतिवर्ष आकर हमें हमारी प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली का भान कराता है। स्वतंत्रता के बाद भारतीयों के गौरव को स्थिर रखने के लिए डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में देश के गणमान्य नेत

18

राम-लक्ष्मण और परशुराम संवाद

18 अप्रैल 2018
0
1
0

बचपन में हम रामलीला देखने के लिए बड़े उत्सुक रहते थे। जब-जब जहाँ-कहीं भी रामलीला के बारे में सुनते वहाँ पहुंचते देर नहीं लगती। रामलीला में सीता स्वयंवर के दिन बहुत ज्यादा भीड़ रहती, इसलिए रात को जल्दी से खाना खाकर बहुत पहले ही हम बच्चे पांडाल में चुपचाप सीता स्वयंवर के दृश्य का इंतजार करने ब

19

डाॅक्टर बनने की राह आसान बनाने हेतु एक सार्वजनिक अपील

27 मई 2018
2
0
0

माउंटेन मैन के नाम से विख्यात दशरथ मांझी को आज दुनिया भर के लोग जानते हैं। वे बिहार जिले के गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे, जिन्होंने अकेले अपनी दृ़ढ़ इच्छा शक्ति के बूते अत्री व वजीरगंज की 55 किलोमीटर की लम्बी दूरी को 22 वर्ष के कठोर परिश्

20

मौत नहीं पर कुछ तो अपने वश में होता ही है

7 जुलाई 2018
1
0
0

जरा इन मासूम बच्चों को अपनी संवेदनशील नजरों से देखिए, जिसमें 14 वर्ष की सपना और उसकी 11 वर्ष की बहिन साक्षी और 11 वर्ष के भैया जिन्हें अभी कुछ दिन पहले तक माँ-बाप का सहारा था, वे 1 जुलाई 2018 रविवार को भयानक सड़क दुर्घटना भौन-धु

21

'दादी' के आते ही घर-आंगन से रूठा वसंत लौट आया ...

14 फरवरी 2019
1
1
0

हम चार मंजिला बिल्डिंग के सबसे निचले वाले माले में रहते हैं। यूँ तो सरकारी मकानों में सबसे निचले वाले घर की स्थिति ऊपरी मंजिलों में रहने वाले लागों के जब-तब घर-भर का कूड़ा-करकट फेंकते रहने की आदत के चलते कूड़ेदान सी बनी रहती है, फिर भी यहाँ एक सुकून वाली बात जरूर है कि बागवानी के लिए पर्याप्त जगह न

22

अथ होली ढूंढ़ा कथा

20 मार्च 2019
1
1
0

होली पर्व से सम्बन्धित अनेक कहानियों में से हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रहलाद की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा ढूंढा नामक राक्षसी की कहानी का वर्णन भी मिलता है, जो बड़ी रोचक है। कहते हैं कि सतयुग में रघु नामक राजा का सम्पूर्ण पृथ्वी पर अधिकार था। वह विद्वान, मधुरभाषी होने के साथ ही प्रजा की स

23

सुबह की सैर और तम्बाकू पसंद लोग

4 जून 2019
1
6
2

गर्मियों में बच्चों की स्कूल की छुट्टियाँ लगते ही सुबह-सुबह की खटरगी कम होती है, तो स्वास्थ्य लाभ के लिए सुबह की सैर करना आनंददायक बन जाता है। यूँ तो गर्मियों की सुबह-सुबह की हवा और उसके कारण आ रही प

24

भारतीय-संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं मिट्टी के दीए

23 अक्टूबर 2019
0
2
1

आज भले ही दीपावली में चारों ओर कृत्रिम रोशनी से पूरा शहर जगमगा उठता है, लेकिन मिट्टी के दीए बिना दिवाली अधूरी है। मिट्टी के दीए बनने की यात्रा बड़ी लम्बी होती है। इसकी निर्माण प्रक्रिया उसी मिट्टी से शुरू होती है, जिससे यह सारा संसार बना है। यह मिट्टी रूप में भूमि पर विद्यमान रहती है, लेकिन एक दिन ऐस

25

कभी एक दिवस नहीं एक युग महिलाओं का भी आएगा

8 मार्च 2021
2
2
0

मुझे याद है जब हम बहुत छोटे थे तो हमारे घर- परिवार की तरह ही गांव से कई लोग रोजी-रोटी की खोज में शहर आकर धीरे-धीरे बसते चलते गए। शहर आकर किसी के लिए भी घर बसाना, चलाना आसान काम नहीं रहता है। घर-परिवार चलाने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। उसके बिना न रहने का ठिकाना, न पेट भरना और नहीं तन ढ़

26

हमारी आस्था व श्रद्धा के साथ ही पर्यावरण के सर्वथानुकूल हैं मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाएं

9 सितम्बर 2021
1
8
1

<p>प्रथम पूज्य गणपति जी की मूर्ति स्थापना के साथ ही पर्यावरण और हमारी झीलों को खतरनाक रसायनों से बचा

27

हिन्दी का महोत्सव है हिन्दी दिवस

14 सितम्बर 2021
5
5
3

<p>लो फिर आ गया एक पर्व की तरह हमारा हिन्दी का महोत्सव। हर वर्ष की भांति 14 सितम्बर को हिन्दी चेतना

28

माटी की मूरत

20 सितम्बर 2021
4
1
1

<figure><img height="auto" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c

29

ढपली और झुनझुने का गणित

20 दिसम्बर 2021
8
3
3

<figure><img height="auto" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c

30

सूर्योपसना का महापर्व है मकर संक्रांति

12 जनवरी 2022
5
2
3

हमारे भारतवर्ष में मकर संक्रांति, पोंगल, माघी उत्तरायण आदि नामों से भी जाना जाता है। वस्तुतः यह त्यौहार सूर्यदेव की आराधना का ही एक भाग है। यूनान व रोम जैसी अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी सूर्य और उसक

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए