स्वाहा खंड 2 : गुनाह, प्रतिशोध और संतुष्टि : - श्यामली के कत्ल से शुरू हुई सिद्धांत की बदकिस्मती उसका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं थी। दिल के भीतर दहकती बदले की आग उसके जुर्म की फेहरिश्त में निरंतर इजाफा करती जा रही थी। वह भटक रहा था, एक-एक कर के दुश्मनों का सफाया करता जा रहा था, मगर जब मंजिल पर पहुँचा तो ये देखकर हैरान रह गया कि प्रतिशोध के दावानल को बुझाने हेतु जितने भी गुनाह किये थे उनका हासिल एक ही झटके में जलकर स्वाहा हो गया।
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