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स्वाहा - हसरत, दौलत और हासिल

संतोष पाठक

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1 जून 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 9789392829017

स्वाहा (खंड 3) : हसरत, दौलत और हासिल :- जिसे चाहा उसे खो दिया। जहां भी कदम पड़े तबाही और बर्बादी का मंजर आम हो गया। इंसानियत हैवानियत में बदल गई, सबकुछ एक ही झटके में स्वाहा हो गया। अपने प्रारब्ध से जूझता ऐसा बदकिस्मत शख्स दुनिया में बस एक ही हो सकता था और वह था सिद्धांत सूर्यवंशी। जो एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ा था जिसकी कोई मंजिल नहीं थी। 

svaahaa hsrt dault aur haasil

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