तवायफ की जिंदगी को उजागर करतीं.... एक बेहद संवेदनशील और विचारणीय... कहानी....।।।। एक ऐसी लड़की की कहानी.... जो चाहतीं कुछ थी और मिला कुछ...।।।
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कुसुम.... अरी ओ कुसुम.... कहाँ हैं.... ये लड़की भी ना पता नहीं कहाँ चलीं जाती हैं.... इतनी बड़ी हो ग
<div>कुछ दिनों बाद...</div><div>कुसुम के कालेज में..</div><div>अंजलि:- कुसुम तुम लोग भी जा रहे हो क्
<div>कुसुम अभी हास्पिटल में थी....। होश में आने के बाद उसे पता चला की उस हादसे में उसका सब कुछ खत्म
कुसुम जैसे तैसे अपने दिन गुजार रहीं थी..। उसे घरों में काम करके जो पैसा मिलता वो उससे अपने खर्चे और
<div>वो एक रात कुसुम की जिंदगी से उसकी बची हुई खुशियाँ भी ले चुकी थी..। ये किरण और केतन की पहले से क
<div>इस भाग में कुछ शब्द कहानी को मद्देनज़र रखते हुए लिखें गए हैं... हो सकता हैं वो आपत्तिजनक लगे...
कुसुम अकेले कमरे में बैठे अपने साथ हुए विश्वासघात के बारे में सोच सोच कर रोती रही...। <div><br>