वो एक रात कुसुम की जिंदगी से उसकी बची हुई खुशियाँ भी ले चुकी थी..। ये किरण और केतन की पहले से की गई साजिश थी..। वो दोनों अपने बॉस अंकित शाह के लिए एक काम करते थे.. जो की एक पेशेवर दलाल था..। किरण और केतन के अलावा भी बहुत लोग थे जो अलग अलग क्षेत्रों में मजबूर, बेसहारा, गरीब और अकेली लड़कियों को अपने साथ लाते और उनका व्यापार करते..। कभी काम के बहाने, कभी पैसों का लालच तो कभी प्यार का, हमदर्दी का झांसा देकर शाह के पास लाया जाता..।
कुसुम के होश में आने के बाद किरण और केतन उसे अपने घर ले गए..। कुछ दिनों तक सब कुछ सामान्य ही चल रहा था..। कुसुम उस हादसे से बिल्कुल अंजान थी..। कुछ दिनों बाद एक शख्स आया केतन के घर...। वो कुसुम को बहुत ही अजीब नजरों से देख रहा था..। कुसुम कुछ समझ नहीं पा रही थी..। उस शख्स ने केतन को पैसों से भरा हुआ एक पैकेट दिया और एक पता बताया ... और कहा :- ये पते पर कल रात.. ग्यारह बजे माल लेकर आ जाना..। साहब समय के बहुत पाबंद हैं इसलिए देर मत करना..।
केतन ने आश्वासन देते हुए पैकेट किरण को दिया और भीतर चला गया..।
थोड़ी देर में किरण कुसुम के पास आई और बोलीं:- कुसुम कल तुम्हें फिर से हमारे साथ एक पार्टी में चलना है..। रात को वही रुकेंगे..।
कुसुम:-दीदी.... मैं नहीं चलूंगी.... आप लोग होकर आइयेगा.... पिछली बार भी मेरी वजह से वहाँ तमाशा हो गया था... प्लीज दीदी मैं घर पर ही ठीक हूँ..।
किरण:- तुम्हारे बिना तो वो पार्टी अधूरी है कुसुम..। तुम नहीं चलोगी तो पार्टी ही नहीं होगी...। तुम्हें तो चलना पड़ेगा..।
कुसुम:- क्या मतलब दीदी.... मै समझी नहीं.... मेरे नहीं जाने से क्या फर्क पड़ेगा..।
तभी केतन हंसता हुआ बाहर आया और बोला :- बहुत फर्क पड़ेगा मेरी जान....और अब तो तुम्हें हमेशा के लिए शाह के पास जाना हैं तो ये नाटक क्यूँ...।
कुसुम:- साहब आप ये कैसे बात कर रहे हैं मुझसे..। दीदी सुना आपने साहब ने क्या कहा... और वो शाह से मेरा क्या वास्ता...!!!!
केतन:- वास्ता.... हा हा हा हा ... तो तुम्हें अब सब समझाना ही पड़ेगा... किरण ले आओ लेपटॉप....
किरण मुस्कुराती हुई अंदर गई और लेपटॉप ले आई..।
केतन ने लेपटॉप में पेनड्राइव लगाई और लेपटॉप कुसुम की ओर मोड़ दिया..।
उस रात कुसुम के साथ जो भी हुआ था वो सब उस पेनड्राइव में चल रहा था। कुसुम देखते ही पास रखें सोफे पर गिर गई... और फूट फुट कर रोने लगीं.. :- ये सब क्यूँ किया मेरे साथ दीदी... मैनें आप पर कितना भरोसा किया था... अपना सब कुछ छोड़ कर आपके कहने पर आपके साथ यहाँ आई.... और आपने मेरे साथ ही... क्या बिगाड़ा था मैनें आपका... क्यूँ किया ऐसा आपने.. क्यूँ..????
केतन:- देखो अभी ये रोने धोने से कोई मतलब नहीं हैं... हमारा तो काम ही ये हैं...। हम शहर शहर घुमते हैं और ऐसी लड़कियां ढुढ़ कर शाह को सौंप देते हैं...। तुम्हारे साथ भी वही होने वाला हैं..। इसलिए यह सब करने से कोई फायदा नही हैं....। इसलिए यहाँ से भागने या हमारे खिलाफ जाने का तो सोचना भी मत.... वरना ये विडीओ कल हर जगह वायरल हो जाएगी..और तुमने तो अच्छे से देखा ही होगा इसमें सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा दिखा रहा हैं....। अब अगर सब कुछ राजी खुशी कर लोगी तो तुम्हारे लिए ही अच्छा हैं.... वरना हमें और भी तरीके आतें हैं..।
कुसुम लगातार रोए जा रहीं थी... उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे...। भले ही उसका इस दूनिया मे कोई नहीं था.. पर उसके शहर के लोगों के पास अगर ये सब पहुँच गया तो.... क्या सोचेंगे ये सब देखकर..।
किरण:- देखो कुसुम.... तुम पर दाग तो लग ही चुका हैं.. अब हमारे खिलाफ जाने से अच्छा हैं... अपनी मर्जी से ये काम कर लो...। मर्जी से करोगी तो मुंह मांगा पैसा मिलेगा..। वरना जबरदस्ती से सिर्फ तुम्हारा जिस्म बेचा जाएगा... तुम्हारे हाथ कुछ नहीं आएगा..।
कुसुम रोते हुए:- दीदी आप एक औरत होते हुए भी ऐसा कैसे कर सकतीं हो....!!!!
किरण:- मैं भी तुम्हारी तरह इन सबसे गुजर चुकीं हूँ कुसुम..। केतन मेरा पति नहीं हैं.. हम दोनों सिर्फ साथ में काम करते हैं शाह के लिए...। मैनें भी पहले बहुत विरोध किया था.... लेकिन कुछ फायदा नही हैं...। बेहतर होगा तुम भी समझ जाओ..।
कुसुम को जैसे एक ओर झटका लगा हो.... वो कुछ भी कहने की हालत में नहीं थी.... उसकी तो जैसे दुनिया ही लूट चुकीं हो..।