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भाग 6

11 दिसम्बर 2021

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इस भाग में कुछ शब्द कहानी को मद्देनज़र रखते हुए लिखें गए हैं... हो सकता हैं वो आपत्तिजनक लगे... कृपया विवेक से काम ले...। 


कुसुम समझ चुकी थी की उसके साथ बहुत बड़ा छल हुआ हैं और अब उसके पास कोई रास्ता नहीं हैं..। वापस अपने शहर जाने पर उसे सिर्फ बदनामी मिलेगी.. उसे तिरस्कार मिलेगा..। लेकिन करतीं भी क्या..। मजबूरी में ही सही उसके पास केतन और किरण की बात मानने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं था..। अनजान शहर में मदद मांगने जाए भी तो किसके पास.. पुलिस की मदद ले भी तो कैसे...? उसे अब किसी पर भी विश्वास नहीं रहा था..। आखिर कार वो पार्टी में जाने के लिए तैयार हो गई..। 

पार्टी में........ 

केतन किरण से :- वाह यार तुम तो बहुत पेशेवर खिलाड़ी हो गई हो.. क्या कहा था तुमने कुसुम से... मैं तुम्हारा पति नहीं हूँ...।
किरण:- करना पड़ता हैं डियर... ये सब ना करूँ तो... 
केतन:- हां हां समझता हूँ..। चलो अभी गिल साहब के हवाले कर देते हैं... फिर हमारा काम खत्म..। उसके बाद शाह जाने और गिल..। 

किरण:- हां चलिए..। 

दोनों कुसुम को लेकर एक आलिशान बंगले में गए... जहाँ बगीचे मे शानदार पार्टी का आयोजन चल रहा था..। 

केतन:- नमस्कार गिल साहब..। 
गिल:- अरे केतन... आओ आओ.... तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था..। कैसी हैं भाभी जी...। आपके भी बहुत चर्चे सुने हैं... कभी हमें भी खातिरदारी का मोका दिजिए..। ( किरण की ओर देखते हुए) 

किरण:- हां क्यूँ नहीं गिल साहब.... आपको जब ओरों से फुर्सत मिल जाए तो भुला लिजिएगा... हम तो हर पल आपकी सेवा में हाज़िर हैं..। पर अभी इनसे मिलों... ( कुसुम की ओर इशारा करते हुए) इसका नाम हैं चांदनी..। आज से ये आपके आशियाने में अपनी चमक बिखरेंगी..। दो दिन बाद इन्हें सही सलामत शाह के पास भिजवा दिजिएगा...। हमारा सफ़र अब यही खत्म..। 

गिल:+ अरे आप बेफिक्र रहिए... बिल्कुल सही सलामत भिजवा देंगे... इस चांदनी को.... चलिए आप दोनों बाहर पार्टी का लुत्फ़ उठाइये ... हम थोड़ी देर जहाँ आपकी इस चांदनी की चमक तो देख ले..। 

केतन:- जरूर गिल साहब.... ए वन पीस हैं... देख लिजीए हर तरफ़ से.. केतन कभी ऐसा वैसा माल नहीं लाता...। 

गिल:- हां वो तो हैं.... तभी तो शाह ने रखा हैं..। 

केतन और किरण मुस्कुराते हुए बाहर चल रही पार्टी में चले गये..। 

कुसुम डरी सहमी हुई.. बुत बनकर वही खड़ी रहीं..। मन ही मन अपनी किस्मत को कोस रहीं थी..। क्यूँ उसने किरण पर भरोसा किया... क्यूँ अपना शहर छोड़ा..। कैसे वो इतने बड़े रैकेट में फंस गई...। 

गिल अपने हाथ में शराब का एक पैग बनाकर कुसुम के चारों ओर घुम रहा था.. एक एक घूंट पीता और उसे ऊपर से नीचे तक घुरता रहता..। गिलास खत्म होने पर उसे फेंक देता हैं और कहता हैं :- साला शराब का नशा भी नहीं चढ़ रहा तुझे देखकर... मानना पड़ेगा केतन को माल तो गजब का लाया हैं...। 

गिल धीरे से कुसुम के करीब आया और उसने उसके दोनों गालों पर अपने हाथ रख लिए और उसे चुमने जा ही रहा था कि उसके फोन की रिंग बजी...। वो दूर हो गया और टेबल पर रखें अपने फोन को लेने गया.। 

फोन उठाकर... हां बोलो बेटा क्या हुआ...? 
सामने से :- पापा कहाँ हैं आप..? पार्टी कब की शुरू हो गई हैं.. आप दिख ही नहीं रहें..! 

गिल:- बस दो मिनट में आया बेटा..। 

गिल ने फोन रखकर आवाज लगाई:- कैलाश..ओ.... कैलाश...। 

कैलाश गिल का सेक्रेटरी था... वो आवाज सुनकर दौड़ता हुआ भीतर आया..। 

कैलाश:- जी साहब..। 

गिल:- कैलाश इसे ऊपर ले जाओ... गेस्ट रुम में... अच्छे से खातिर दारी करना इसकी.. किसी चीज की कमी ना हो और नजर बनाए रखना कहीं जाने की कोशिश ना करे... ना किसी से मिले.. स्पेशल मेहमान हैं.... इससे स्पेशल नाइट को ही मिलेंगे... समझ गया ना...। 

कैलाश:- हां साहब... सब समझ गया... आप बेफिक्र होकर पार्टी में जाइए..। 

गिल मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला गया..। 

कैलाश कुसुम को ऊपर एक कमरे में ले गया और उसे उस कमरे में बंद कर के बाहर से कुंडी लगा ली और एक शख्स को नजर रखने के लिए कमरे के बाहर खड़ा कर दिया... फिर पार्टी में से खाने की प्लेट भरकर वापस वहाँ आया और कमरे में कुसुम को देते हुए बोला:- ये लो खाना खा लो और पानी भी वहाँ टेबल पर रखा हैं.. किसी ओर चीज की जरूरत हो तो बाहर मेरा आदमी खड़ा हैं उसकों बोल देना.. और प्लीज खाना खा लेना....। अच्छा चलता हूँ...। 


ऐसा कहकर कैलाश फिर से दरवाजा बाहर से बंद करके वहाँ से नीचे पार्टी में चला गया..। 


पार्टी में बहुत बड़े बड़े लोग आए हुए थे.. ।

अरे गिल साहब पार्टी तो आपने बहुत बढ़िया रखी हैं... लेकिन ये तो बताइये किस खुशी में रखी हैं..। 

गिल :- सात साल बाद मेरा बेटा लंदन से आया हैं.... पार्टी तो होनी ही हैं ना...। अब उसके अलावा हैं ही कौन जिस पर ये खर्च करूँ... आखिर आगे जाकर सब उसे ही तो संभालना हैं..। 


ऐसे ही बातचीत में हर शख्स पार्टी का लुत्फ़ उठा रहा था..। सब तरफ नाच गाना... खाना पीना... मस्ती मजाक... चल रहा था..। 


कुछ देर बाद केतन और किरण भी गिल से विदा लेकर वहाँ से चले गए....। 


आगे क्या होगा कुसुम की जिंदगी में... 

जानते हैं अगले और अंतिम भाग में..। 


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