कुसुम अकेले कमरे में बैठे अपने साथ हुए विश्वासघात के बारे में सोच सोच कर रोती रही...।
बाहर पार्टी में सभी अपनी मस्ती में खुश थे..।
अरे विकी कहाँ जा रहा हैं..? गिल ने अपने बेटे से पुछा..।
विकी:- पापा एक जरुरी फोन करना हैं इंटरनेशनल... बस दो मिनट में आया..।
गिल :- ठीक हैं बेटा...। जल्दी आना..।
विकी अपना फोन लेकर घर के भीतर चला गया क्योंकि बाहर आवाज बहुत ज्यादा थी...।
विकी फोन पर बात करते करते ऊपर गेस्ट रुम की तरफ़ पहुँच गया..।
विकी:- अरे काका आप यहाँ क्यों खड़े हैं.... पार्टी तो नीचे हैं.... नीचे चलिए..।
अरे नहीं बेटा... हम यहीं ठीक हैं... वो एक खास मेहमान हैं ना भीतर बस उनका ध्यान रख रहे हैं... ( कुसुम के कमरे के बाहर खड़ा शख्स बोला)
विकी:- खास मेहमान.... किसका खास मेहमान...?
वो हमे नहीं मालूम छोटे साहब... हमें तो कैलाश बाउ ने यहाँ खड़ा किया हैं..। (वो शख्स बोला )
विकी:- कैलाश ने...! खास मेहमान हैं तो यहाँ भीतर क्या कर रहे हैं... इन्हें तो बाहर पार्टी में होना चाहिए....। मैं लेकर आता हूँ इन्हें बाहर...।
अरे नहीं छोटे साहब... वो कैलाश बाउ ने मना किया हैं.... किसी को भी भीतर जाने देने से..। (काका बोले)
विकी:- मना किया हैं... लेकिन क्यूँ...।
काका:- वो सब मुझे नहीं मालूम साहब... आप जाइये बाहर पार्टी में... हम देख लेंगे यहाँ..।
विकी:- एक मिनट काका... मुझे देखना हैं... अंदर कौनसा मेहमान हैं...।
काका:- लेकिन..
विकी:- यही रुके... खोलिए दरवाजा... तुरंत..।
काका:- जी छोटे साहब..।
विकी ने दरवाजा खोला तो भीतर बिल्कुल अंधेरा था..। उसने जैसे ही लाइट जलाई तो कुसुम जो भीतर ही थी वो अपने शरीर से दुपट्टा हटाते हुए बोली:- आइये साहब... जो करना हैं कर लिजीए.. बस ये लाइट बंद कर दीजिए... आप चाहे तो छोटी लाइट जला दिजिए...। मेहरबानी होगी..।
विकी :- ये क्या कर रही हो तुम... कौन हो तुम... क्या हरकत हैं ये...।
( विकी ने झट से दुपट्टा उठा कर कुसुम के कंधे पर रख दिया)
कुसुम:- क्या हुआ साहब..पंसद नहीं आई क्या आपको.. ?
विकी:- कौन हो तुम...और ये सब क्यूँ कर रहीं हो..।
कुसुम:- आप जैसे रईस लोगों की पार्टी की जान हूँ साहब... पेशे से एक तवायफ़...।
विकी:- व्हाट.... ये क्या बकवास कर रहीं हो... कौन लाया हैं तुम्हें यहाँ..।
कुसुम:- क्या फर्क पड़ता हैं इससे साहब... की कौन लाया... कब लाया... कैसे लाया..। आपको जो करना हैं करिये और भेजिए दूसरो को..।
विकी:- खबरदार जो दुबारा ये सब बकवास की तो...। मैं यहाँ ऐसा कुछ करने नहीं आया हूँ.... और ना ही मैं जानता हूँ की तुम्हें यहाँ कौन लाया हैं...। लेकिन जो कोई भी लाया हैं उसकों मैं छोड़ुंगा नहीं...। मैं ऐसी पार्टी के शख्त खिलाफ हूँ.... मुझे भी नहीं पता मेरे ही घर में ये सब हो रहा हैं..। अगर ये सब उस कैलाश की हरकत हैं तो वो तो गया...। तुम घबराओ मत..। मुझे बस इतना बताओ तुम ये सब क्यूँ करतीं हो..? सिर्फ चंद रुपयो के लिए ऐसे क्यूँ...?
कुसुम:- एक बात बोले साहब....! रुपये कमाने के और भी तरीके होते हैं....।
विकी:- तो फिर ये सब... और कौन लाया हैं तुम्हें यहाँ... तुम जानती हो उनकों.... मुझे बताओ मैं तुम्हारीं मदद करुंगा...। देखो तुम मुझे पर विश्वास कर सकतीं हो....।
कुसुम:- विश्वास..... छोड़िये साहब..... वो तो अब मैं खुद पर भी नहीं करतीं....।
विकी:- अच्छा वो सब छोड़ो.... पहले ये बताओ तुम्हारा नाम क्या हैं.... और तुमने खाना क्यूँ नहीं खाया.... ( विकी ने खाने की प्लेट की ओर इशारा करतें हुए कहा)
कुसुम:- नाम..... कौनसा नाम.... मेरा असली नाम या इस दुनिया में रखा हुआ नाम.... कौनसा जानना चाहतें हैं आप..!
विकी:- जो सच हैं वो... लेकिन पहले कुछ खा लो....। लो थोड़ा खाना खा लो...। ( विकी खाने की प्लेट आगे करते हुए बोला)
कुसुम:- नहीं साहब.... मुझे भूख नही हैं....और वैसे भी अब तो ऐसी पार्टियों में कुछ खाने से भी डर लगता हैं...।
विकी:- अच्छा चलो सब छोड़ो..... अपना नाम तो बता दो...।
कुसुम:- कुसुम.... नाम हैं मेरा... लेकिन शायद अब से चांदनी के नाम से पहचानी जाउंगी...।
विकी:- ऐसा कुछ नहीं होगा....। अब ये बताओ तुम ये क्यू करतीं हो..! कबसे कर रहीं हो..!
कुसुम:- एक बात बोले साहब... मेरे भी कुछ सपने थे.... जैसे सबके होते हैं...।
जब एक बच्चा किसी भी घर में पैदा होता हैं ना साहब तो एक ना एक बार उसके पेरेन्ट्स उससे ये सवाल जरूर करतें हैं की तुम बड़े होकर क्या बनना चाहतें हो...। कोई डाक्टर बनना चाहता हैं... कोई इंजीनियर... कोई क्रिकेटर... कोई नेता... कोई अभिनेता... कोई आफिसर तो कोई पुलिस....लेकिन क्या आपने कभी किसी लड़की को ये कहते हुए सुना हैं की वो बड़ीं होकर तवायफ़ बनना चाहतीं हैं.... वैश्या बनना चाहतीं हैं.... अपना जिस्म बेचना चाहतीं हैं...!
नहीं ना साहब..... क्योंकि कोई तवायफ़ अपनी मर्जी से अपना जिस्म नहीं बेचती..... कभी धोखे से तो कभी मजबूरी में... उसे ये सब करना पड़ता हैं...।
विकी:- मैं समझ सकता हूँ.... तभी मैं इन सबका विरोध करता हूँ...। मैं तुम्हारे साथ हूँ....। मुझे बस बताओ कौन तुम्हें यहाँ लाया हैं...।
कुसुम :- मैं उनको ठीक से नहीं जानती साहब.... पर कोई गिल साहब हैं....। जिन्होंने मुझे खरीदा हैं.... केतन और किरण से...।
गिल नाम सुनते ही विकी को जैसे झटका लगा हो... व्हाट..... क्या कहा तुमने..... गिल साहब....!!!!
तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया हैं.... वो पापा हैं मेरे..... होश में तो हो तुम..... क्या बकवास कर रहीं हो..... ओहह अब मैं समझा.... मैने थोड़ी हमदर्दी क्या दिखाई.... तुम हम पर ही उल्टा पड़ रही हो.... देखो मेरे पापा के खिलाफ कुछ भी कहा ना... तो....
कुसुम:- तो क्या..... मारेंगे..... इज्जत लुटेंगे..... तो कर लिजीए.... आपको किसने रोका हैं..... सच तो ये हैं साहब की आपसे सच बर्दाश्त नहीं हो रहा....।
विकी:- बस..... बहुत हो गया.... मुझे तुमसे बात करनी ही नहीं चाहिए थी...।
विकी पैर पटकता हुआ बाहर आ गया.... :- काका बंद कर दो दरवाजा...।
विकी वापस बाहर पार्टी में चला गया....। लेकिन कुसुम की कही हुई बातें उसके दिमाग में बार बार घुम रहीं थी.... वो पार्टी में बने शराब खाने में चला गया और उसकी बातें सोच सोचकर पीने लगा...।
गिल:- अरे विकी.... हो गई बात....!
विकी :- हां पापा हो गई..।
गिल:- ठीक हैं बेटा.... अभी तुम पार्टी इंजोय करो मैं अभी भीतर जा रहा हूँ.... मुझे सुबह एक जरूरी मिटिंग से बाहर जाना हैं...। कुछ देर आराम कर लूँ...।
विकी:- ठीक हैं पापा.... गुड नाईट...। आइ लव यू पापा...। ( विकी ने गिल को गले से लगाकर कहा)
गिल के जाने के बाद विकी मन ही मन सोच रहा था.... पापा ऐसा कभी नहीं कर सकते... वो तो मम्मा से कितना प्यार करते थे... जरूर वो लड़की झूठ बोल रहीं हैं.... जरूर वो पैसों के लिए ऐसा कह रहीं होगी... उसकी कोई चाल होगी...। पापा तो ऐसा कर ही नहीं सकते.... भगवान भी आकर कह दे तो भी मैं ये मान ही नहीं सकता..। मैं उस लड़की से सच उगलवा कर रहूंगा.... छोड़ुगा नहीं मैं उसे..... उसकी हिम्मत कैसे हुई..।
ऐसा सोचते सोचते विकी ने पुरी बोतल खाली कर दी और गुस्से मे कुसुम के कमरे की ओर चल दिया..।
वो कमरे के पास जाने ही वाला था कि फिर अपने आप से बोला:- मैं पहले पापा से मिल आता हूँ.... उनको भी साथ ले आता हूँ.... सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा...।
वो फिर से नीचे गिल के कमरे की ओर गया.. विकी ने दरवाजा खटखटाया पर भीतर से कोई आवाज़ नहीं आई... कुछ देर बाहर से आवाज देने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं आया तो वो भीतर चला गया... भीतर जाकर देखा तो कमरे में कोई नहीं था...।
विकी :- पापा तो यहाँ हैं ही नहीं... उन्होंने तो कहा था आराम करने जा रहा हूँ.... कहाँ चले गए वो...। शायद किसी ओर कमरे में होंगे...। चलो कोई बात नहीं मैं अकेला ही जाता हूँ... उस कुसुम को ठिकाने लगाने... मेरे पापा का नाम लेने की जुर्रत कैसे की उसने...।
नशे में इधर उधर ठोकरे खाते खाते.... अपने आप में बड़बड़ाते हुए विकी कुसुम के कमरे के बाहर पहुंचा।
विकी:- ओ काका.... दरवाजा खोलों.... मैं छोड़ुगा नहीं उस लड़की को...।
काका:- क्या हुआ छोटे साहब..!
विकी:- तुमसे कहा ना दरवाजा खोलों...। खोलों दरवाजा... जल्दी।
काका:- साहब आप होश में नहीं हैं.... आप अभी जाओ यहाँ से... सुबह बात कर लेना..।
विकी:- तुम्हें समझ नहीं आता क्या.... मैने कहा दरवाजा खोलों अभी इसी वक़्त...।
काका:- लेकिन छोटे साहब... वो कैलाश बाउ...
विकी:- कैलाश की ऐसी तैसी.... तुम खोलते हो या मैं तोड़ दूं...।
काका घबरातें हुए... :- एक मिनट साहब... मैं अभी खोलता हूँ...।
काका ने तुरंत अपना फोन निकाला और कैलाश को फोन किया... हैलो साहब.... बाहर छोटे साहब खड़े हैं... भीतर आने की जिद्द कर रहे हैं.... क्या करूँ...।
कैलाश:- व्हाट...उसे किसी किमत पर भीतर मत आने देना...। मैं कुछ करता हूँ...। ऐसा कहकर उसने फोन रख दिया..।
कैलाश:- मालिक.... बाहर विकी बाबु खड़े हैं... हमें निकलना चाहिए यहाँ से...।
गिल:- विकी... वो यहाँ क्यों आया हैं...।
कैलाश:- पता नहीं मालिक... हमे छिप जाना चाहिए...।
गिल ने फटाफट से अपने कपड़े लिए और वाशरूम की ओर चल दिया....।
कैलाश:- सुन लड़की.... अगर किसी को एक लब्ज़ भी कहा ना तो अच्छा नहीं होगा तेरे साथ....एक साथ दस लोगों को सुला दुंगा.... सोच ले फिर क्या हालत होगी तेरी... समझी... इसलिए बिल्कुल चुप रहना...।
ऐसा कहकर कैलाश भी वाशरूम चला गया और बाहर खड़े काका को फोन करके दरवाजा खोलने को कहा..।
दरवाजा खुलते ही विकी भीतर आया और कुसुम को अस्त व्यस्त हालत में देखकर उसने अपनी नजरें फेर ली....।
विकी दूसरी ओर मुंह करते हुए बोला:- तुम ऐसे.... इस हालत में... कौन आया था यहाँ... बोलो...।
कुसुम ने तुरंत अपने कपड़े ठीक किये...।
विकी उसकी ओर पलटा ओर कहा:- कौन आया था.... बोलो कुसुम.... बोलो.... कौन आया था..।
कुसुम कुछ बोलने की हालत में नहीं थी.... उसने बस वाशरूम की तरफ़ इशारा किया...।
विकी उसका इशारा समझ गया और वाशरूम की तरफ चल पड़ा.... वहाँ जाते ही उसने देखा.... कैलाश वहाँ खड़ा हैं... गिल विकी की आने की आहट से मोका देखकर खिड़की से भाग गया था... कैलाश भी भागने ही वाला था पर पकड़ा गया...। विकी कैलाश को खिंचकर बाहर लाया... और उसे मारने लगा...।
कुसुम :- एक मिनट साहब... ये वो नहीं हैं.... रुकिए...।
विकी:- तो फिर कौन हैं.... बोल कैलाश कौन था.... वरना मार मारकर हालत खराब दुंगा....।
कैलाश जमीन पर रोता बिलखता रहा.... पर विकी रूकने का नाम नहीं ले रहा था..।
आखिर कार मार खाते वो लहुलुहान हो गया.... ओर बोल पड़ा:- मालिक थे.... विकी बाबु.... मुझे मत मारो... प्लीज विकी बाबु.... मैं सच कह रहा हूँ.... मालिक ही इसे लाए हैं... दो दिन के लिए फिर इसे कौशल्या बाई के यहाँ कोठे पर बेच आए हैं...।
विकी:- व्हाट.... पापा..... इसका मतलब ये सच कह रही थी...।
विकी गुस्से से आग बुला हो गया और अपने पापा के कमरे की ओर कैलाश को खिंचता हुआ लेकर गया...।
विकी चिल्लाता हुआ वहाँ पहुंचा और बोला:- पापा अब बिल्कुल भी झूठ मत बोलना... कैलाश ने सब कुछ बता दिया हैं.... मुझे बस मेरे एक सवाल का जवाब दो... क्या मिलता हैं इन सब से... आप तो मम्मा से इतना प्यार करते थे फिर... ये सब क्यूँ... क्यूँ पापा क्यूँ...??
गिल:- देख विकी तु इन सब मे मत आ.... ये मेरा पर्सनल मामला हैं... और वैसे भी मैनें कोई जबरदस्ती नहीं की हैं किसी के साथ... वो लड़की खुद आई थी... पैसे भी लिए हैं उसने मुझसे..। रही बात तेरी माँ की तो उसे मरे हुए दस साल हो चुके हैं...। उसको बीच में मत ला..। तु यहाँ कुछ दिनों के लिए आया हैं... अपने काम से काम रख और जा वापस.. मैं यहाँ क्या करता हूँ... कैसे रहता हूँ... वो मैं देख लुंगा..। कैलाश को छोड़ इसमें उसका कोई हाथ नहीं हैं... और मेरा भी नहीं हैं.... वो खुद चलकर आई थी...।
विकी:- ठीक हैं पापा... माना वो खुद आई थी... पर आपको तो सोचना चाहिए...अरे उसकी उम्र तो देखो..।
गिल:- तुझे उसकी इतनी तरफदारी करने की जरूरत नहीं हैं विकी.. इन जैसी लड़कियों का तो पेशा हैं ये... वो किसी के भी साथ सो सकतीं हैं सिर्फ चंद रुपयो के लिए..। तेरे वहाँ खुलेआम होता हैं.. यहाँ बंद कमरों में होता हैं... बस इतना ही फर्क हैं..।
विकी :- नहीं पापा... सिर्फ इतना फर्क नहीं हैं... बहुत फर्क हैं... वहाँ औरतों को बराबर का दर्जा दिया जाता हैं.. इस तरहा बर्ताव नहीं होता हैं वहां..। ओर रहीं बात तरफदारी की तो सुन लिजीए एक बात... वो जो कोई भी हैं... अब मेरी अमानत हैं...।
गिल:- क्या मतलब...अमानत..!!
विकी सिढ़ियो पर खड़ी कुसुम के पास गया.. और उसका हाथ पकड़ कर गिल के सामने लाया.. और कहा:- हां पापा.... अमानत..शुक्र मनाईये मैं अभी भी आपको पापा कह रहा हूँ... वरना आप उस लायक भी नहीं हैं... मैं नहीं जानता ये कौन हैं... कहाँ से आई हैं... लेकिन अब ये मेरे साथ जाएगी... मुझसे शादी करके..।
गिल चिल्लाकर :- वि... की..... तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने पर हैं... जानते भी हो तुम क्या कह रहे हो...! तुम एक तवायफ़ से शादी करोगे.. ना जाने कितनों के साथ सो चुकी हैं ये... पागल हो गए हो तुम... हमारी इज्जत मिट्टी में मिलाना चाहते हो... अरे जानते भी हो लोग कितना नाम उछालेंगे हमारे खानदान का..।
विकी:- नाम.... किस नाम की बात कर रहे हैं आप....अपने से आधी उम्र की लड़की के साथ जबरदस्ती करते हुए... कभी ये सब सोचा था..। ओर वैसे भी पापा अब मैं यहाँ एक दिन भी नहीं रूक सकता... मैं कल ही कुसुम को अपने साथ लेकर यहाँ से जा रहा हूँ... ना किसी को कुछ पता चलेगा और ना आपकी झूठी शान पर कोई आंच आएगी...।
कुसुम रोते हुए:- एक मिनट साहब...आप ये सब क्या कह रहे हैं... मैं आपसे क्या किसी से भी शादी नहीं कर सकतीं... मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिजिए... मेहरबानी होगी..।
विकी:- कुसुम मुझे गलत मत समझों... मै पहली बार तुम्हें देखकर ही कुछ अजीब सा महसूस कर रहा था..। मैं तुमसे कहना भी चाहता था... पर जब तुमने पापा का नाम लिया तो मैं थोड़ा गुस्सा हो गया था.. पर अब सच जानने के बाद... मैं तुमसे बस इतना बोलुंगा... मैं सच में तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ... प्लीज मेरी बात मानो ओर चलो मेरे साथ..।
कुसुम रोते हुए:- लेकिन फिर भी मैं नहीं चल सकती... मैं आपके लायक नहीं हूँ... आप समझने की कोशिश किजिए.. आज से पहले भी मेरे साथ जबरदस्ती हो चुकी हैं..।
विकी :- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता... बस तुम हां कर दो... प्लीज..।
कुसुम:- लेकिन एक मेरे हां कर देने से... उन सब लड़कियों का क्या... आप मेरी जिंदगी तो बदल देंगे... पर क्या उन सब के लिए कुछ कर पाएंगे..?
विकी:- हां... मैं वादा करता हूँ तुमसे... मेरा एक दोस्त हैं... जो ऐसे रैकेट का पर्दाफाश करने का ही काम करता हैं... तुम बस उसे अपनी सब आपबीती बता देना... शुरू से लेकर अब तक... ।
गिल:- तु इस लड़की के लिए... अपने बाप को भी बदनाम करेगा..?
कुसुम:- नहीं गिल साहब.. मैं आपका नाम नहीं लुंगी... क्योंकि अगर मैं आपके पास नहीं आतीं तो शायद मैं इनसे (विकी) से भी नहीं मिल पातीं... लेकिन हां केतन और किरण उनका नाम जरूर बताउंगी..।
विकी:- मैं जा रहा हूँ पापा... हमेशा के लिए.... आप संभालिये अपनी ये प्रोप्रटी.... अपना ये बिजनेस...आज की रात मैं अपने दोस्त के यहाँ रह लुंगा... और कल सुबह ही वापस चला जाउंगा..। चलो कुसुम...।
विकी कुसुम का हाथ पकड़कर वहाँ से चला गया...।
गिल , कैलाश और काका उनकों जाते हुए बस देख रहे थे... कोई उनकों रोकने की हिम्मत नहीं कर सका...।
अगले दिन कुसुम विकी के साथ हमेशा के लिए लंदन चलीं गई...। वहाँ जाकर उन दोनों ने शादी भी कर ली...। कुसुम की मदद से विकी के दोस्त ने बहुत से ऐसी लड़कियों को भी छुड़ाया...।
अंत में बस इतना ही कहेंगें...... कभी किसी की मजबूरी का इतना फायदा मत उठाइए की उसकी आत्मा ही मर जाए... क्योंकि हर तवायफ़ की जिंदगी में विकी नहीं आता...।
जय श्री राम...।